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जाने क्यों लगता है पितृदोष, इसके अशुभ प्रभावों को रोकने के लिए करें ये उपाय
जनता से रिश्ता वेबडेस्क | पितृ दोष को बहुत अशुभ प्रभाव देने वाला माना जाता है. ये व्यक्ति की कुंडली में एक ऐसा दोष माना गया है जो सभी दुखों को एक साथ देने की क्षमता रखता है. जिसकी कुंडली में पितृदोष लगा होता है, उसके कोई काम आसानी से नहीं बनते. व्यक्ति जीवन में काफी उतार-चढ़ाव महसूस करता है. धन की कमी परेशान करती है, तरक्की में बाधा आती है, गर्भधारण आसानी से नहीं होता या गर्भपात हो जाता है. कुल मिलाकर पितृदोष होने पर परिवार अच्छी तरह से फल फूल नहीं पाता है.
ऐसे में ये जानना बहुत जरूरी है कि आखिर पितृदोष लगता क्यों है. मान्यता है कि जो भी लोग जीवित रहते हुए अपने माता पिता का अनादर करते हैं, मृत्यु के बाद अपने पितरों की श्राद्ध नहीं करते, किसी निरअपराध की हत्या करते हैं, ऐसे लोगों के अगले जन्म में कुंडली में पितृदोष होता है. यदि आपके भी जीवन में ढेरों कष्ट एक साथ हैं, लंबे समय से आपके कोई काम नहीं बन पा रहे हैं तो आपको अपनी कुंडली को किसी ज्योतिष विशेषज्ञ को दिखाना चाहिए और पितृदोष के कष्टों को दूर करने के लिए ये उपाय करने चाहिए.
1. हर रोज एक ऐसे मंदिर में जाएं जहां पीपल का पेड़ लगा हो. उस पेड़ पर दूध-जल मिलाकर जल अर्पित करें. शाम के समय पीपल पेड़ के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाएं. इस उपाय से पितृ प्रसन्न होते हैं और पितृ दोष का प्रभाव धीरे-धीरे खत्म होने लगता है.
2. भगवान भोलेनाथ की तस्वीर या प्रतिमा के सामने बैठकर रोजान एक माला इस मंत्र का जाप करें और भगवान से पितरों की मुक्ति के लिए प्रार्थना करें. इससे पितृदोष शांत होता है और उसके प्रभाव धीरे-धीरे खत्म हो जाते हैं. मंत्र है -'ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय च धीमहि तन्नो रुद्र: प्रचोदयात'
3. अमावस्या तिथि को भी पितरों के निमित्त काम किए जाते हैं. आप अमावस्या के दिन पितरों के निमित्त पवित्रता पूर्वक भोजन बनाएं और चावल बूरा, घी और एक-एक रोटी गाय, कुत्ता, और कौआ को खिलाएं. पूर्वजों के नाम से दूध, चीनी, सफेद कपड़ा, दक्षिणा आदि किसी मंदिर में या जरूरतमंद को दें. इससे भी पितर प्रसन्न होते हैं और पितृदोष शांत होने लगता है.
4. हर अमावस्या पर गाय को पांच तरीके के फल खिलाएं और बबूल के पेड़ के नीचे शाम के समय भोजन रखें. ऐसा करने से भी पितर प्रसन्न होते हैं और पितृदोष समाप्त होता है.
5. नियमित तौर पर पूजा के बाद जिस तरह से अपने भगवान से आप भूल की क्षमा मांगते हैं, उसी तरह से पितरों से भी जाने अंजाने हुई गलतियों की रोज क्षमा मांगें. ऐसा करने से भी पितृदोष का असर कम हो जाता है या समाप्त हो जाता है.