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धर्म-अध्यात्म
जानिए भगवान शिव ने क्यों धारण किए थे चन्द्रमा, सर्प, गंगा और त्रिशूल…
HARRY
27 Jun 2023 5:49 PM GMT
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जनता से रिश्ता वेबडेस्क | हिंदू धर्म में भगवान शिव के प्रति लोगो में एक अनोखी आस्था नज़र आती है उन्हें अक्सर लंबे बालों के साथ चित्रित किया जाता है, जिसमें गंगा नदी, माथे पर अर्धचंद्र, गले में सांप, हाथों में एक डमरू और एक त्रिशूल होता है। यह प्रतिरूप भगवान शिव की शक्ति और भक्तों में उनके प्रति आस्था को दर्शाता है। आज हम भगवान शिव के द्वारा धारण करे चन्द्रमा, नाग और त्रिशूल से जुडी कथाएं साझा करेंगे।
पौराणिक कथाओं के अनुसार राजा दक्ष ने चंद्रमा को श्राप दिया था, लेकिन चंद्रमा श्राप से छुटकारा पाने के लिए भगवान शिव की तपस्या करने लगे। भगवान शिव इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने चंद्रमा को अपने सिर पर विशेष स्थान दिया, ऐसा कहा जाता है कि चंद्रमा ने सोमनाथ ज्योतिर्लिंग की स्थापना की थी। चन्द्रमा को मन का कारक माना जाता है। यही कारण है की भगवान शिव मन को नियंत्रित रखने के लिए माथे पर चन्द्रमा को धारण करते है।
धार्मिक कथाओं के अनुसार भगवान शिव के गले में जो नाग है उसका नाम वासुकि है और वासुकि नागलोक का राजा हैं। वासुकी भगवान शिव के बहुत समर्पित अनुयायी थे और और उनकी भक्ति से प्रसन्न हो कर भगवान शिव ने अपने गले में उन्हें स्थान दिया, यही कारण है कि नागलोक के सभी नागों को भगवान शिव का अनुयायी माना जाता है।
त्रिशूल एक विशेष शस्त्र है जो भगवान शिव को बेहद पसंद है, यह तीन अलग-अलग तत्वों से मिलकर बना है जिन्हें रज, तय और सत कहा जाता है। ऐसा कहा जाता है कि पूरे ब्रह्मांड में भगवान शिव के त्रिशूल से अधिक शक्तिशाली कुछ भी नहीं है।
भगवान शंकर अपनी जटाओ में माँ गंगा को धारण करे हुए है। माता गंगा को जब धरती पर अवतरित करने का समय आया तो उनका वेग बहुत ही तीव्र था, जो पृथ्वी के लिए घातक हो सकता था, इसलिए भगवान शिव ने उन्हें अपनी जटाओ में धारण कर उनका वेग नियंत्रित किया।
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