धर्म-अध्यात्म

दिवाली पर भगवान विष्णु के बिना क्यों होता है लक्ष्मी पूजन, जानिए

Rani Sahu
25 Oct 2021 7:48 AM GMT
दिवाली पर भगवान विष्णु के बिना क्यों होता है लक्ष्मी पूजन, जानिए
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दिवाली पर भगवान विष्णु के बिना क्यों होता है लक्ष्मी पूजन

जीवन में तमाम जरूरतों को पूरा करने के लिए धन की जरूरत होती है और धन-धान्य का सुख मां लक्ष्मी की कृपा से प्राप्त होता है. मां लक्ष्मी की साधना-आराधना का दिन है दीपावली, जो कि अंधकार पर प्रकाश की विजय का पर्व माना जाता है. मान्यता है कि दीपावली पर्व पर माता लक्ष्मी की साधना-आराधना करने से पूरे साल आर्थिक मजबूती बनी रहती हैं. मां लक्ष्मी की कृपा से धन का भंडार भरा रहता है और सभी प्रकार के सुख और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है. दीपवली के दिन ही ऋद्धि-सिद्धि के दाता और प्रथम पूजनीय माने जाने वाले गणपति की भी विशेष रूप से साधना होती है, जिनकी कृपा से पूरे साल जीवन में सभी कार्य निर्विघ्न संपन्न होते हैं. ऐसे में हर कोई शुभ एवं लाभ की प्राप्ति के लिए माता लक्ष्मी के साथ विशेष रूप से गणपति का विधि-विधान से पूजा करता है.

दिवाली पर इन देवी-देवताओं का होता है विशेष पूजन
दीपावली के पावन पर्व पर भगवान गणेश और मां लक्ष्मी के अलावा धन के देवता कुबेर, माता काली और मां सरस्वती की पूजा का भी विधान है. लेकिन इन सभी के लिए की जाने वाली विशेष पूजा के साथ भगवान विष्णु की पूजा क्यों नहीं की जाती है, यह अपने आप में एक बड़ा सवाल है जो अक्सर लोगों के मन में आता है, जबकि भगवान विष्णु की पत्नी माता लक्ष्मी को लोग पूरे विधि-विधान से पूजते हैं. आइए जानते हैं कि आखिर दिवाली की रात भगवान विष्णु के बगैर क्यों पूजी जाती हैं माता लक्ष्मी.
जानें भगवान विष्णु के बगैर क्यों पूजी जाती हैं मां लक्ष्मी
जिस दीपावली पर माता लक्ष्मी के साथ तमाम देवी-देवताओं की विशेष रूप से पूजा की जाती है, उसी रात आखिर श्रीहरि भगवान विष्णु की पूजा नहीं की जाती है, क्योंकि दीपावली का पावन पर्व चातुर्मास के बीच पड़ता है और इस समय भगवान विष्णु चार मास के लिए योगनिद्रा में लीन रहते हैं. ऐसे में किसी धार्मिक कार्य में उनकी अनुपस्थिति स्वाभाविक है. यही कारण है कि दीपावली पर धन की देवी मां लक्ष्मी लोगों के घर में बगैर श्रीहरि भगवान विष्णु के बिना पधारती हैं. वहीं देवताओं में प्रथम पूजनीय माने जाने वाले गणपति उनके साथ अन्य देवताओं की तरफ से उनका प्रतिनिधित्व करते हैं. हालांकि दीपावली के बाद जब भगवान विष्णु कार्तिक पूर्णिमा के दिन योगनिद्रा से जागते हैं तो सभी देवता एक बार श्रीहरि के साथ मां लक्ष्मी का विशेष पूजन करके एक बार फिर दीपावली का पर्व मनाते हैं, जिसे देव दीपावली कहा जाता है.
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