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धर्म-अध्यात्म
गंगाजल को शास्त्रों के अनुसार से अमृत के समान क्यों मना गया है, जानिए
Admin4
23 May 2022 5:44 AM GMT

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जनता से रिश्ता वेबडेस्क। गंगाजल को अमृत तुल्य माना जाता है। गंगाजल की पवित्रता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि लोग गंगाजल हाथ में लेकर वचन लेते हैं और यदि व्यक्ति के अंतिम समय में मुख में गंगाजल की बूंद डाल दी जाएं तो माना जाता है कि उसे स्वर्ग की प्राप्ति होती है। मान्यता है कि गंगाजल का स्पर्श करने मात्र से कष्टों से मुक्ति मिलती है। घर में गंगाजल होने से नकारात्मक ऊर्जा का अंत हो जाता है।
शास्त्रों में कहा गया है कि गंगाजल के स्पर्श मात्र से मोक्ष का मार्ग खुल जाता है। गंगाजल पूजनीय है, इसलिए हमेशा इसे मंदिर या पूजा स्थान में ही रखें। घर में यदि क्लेश की स्थिति रहती हो तो रोजाना सुबह स्नान-पूजन के बाद पूरे घर में गंगाजल का छिड़काव करें। बच्चे को बुरी नजर लगने पर उस पर गंगाजल छिड़कें। घर में बीमारियों का डेरा हो तो घर की उत्तर पूर्व दिशा में पीतल के पात्र में गंगाजल भरकर रख दें। हर सोमवार भगवान शिव का गंगाजल से अभिषेक करें। हर शनिवार गंगाजल मिश्रित जल पीपल के पेड़ की जड़ों में अर्पित करें।
यदि रात में डरावने सपने आते हों तो सोने से पहले बिस्तर पर गंगाजल छिड़क लें। भगवान शिव गंगाजल अर्पित करने से अति प्रसन्न होते हैं। बच्चे का मन पढ़ाई में नहीं लगता है तो बुधवार के दिन भगवान श्रीगणेश की पूजा करें। साथ ही बच्चे के कमरे व स्टडी रूम में गंगाजल छिड़कें। यदि घर के लोगों में गुस्सा रहता हो तो उनके ऊपर गंगाजल छिड़कें। इससे मन को शांति मिलेगी। गंगाजल का नियमित सेवन करने से बीमारियों का खतरा कम हो जाता है। बुद्धि तेज होती है और रोग प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि होती है।
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