धर्म-अध्यात्म

जानिए गणेश जी को सिंदूर क्यों है प्रिय ?

Bharti sahu
20 Aug 2022 10:25 AM GMT
जानिए गणेश जी को सिंदूर क्यों  है प्रिय ?
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हर साल भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को गणेश चतुर्थी (Ganesh Chaturthi) मनाई जाती है.

हर साल भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को गणेश चतुर्थी (Ganesh Chaturthi) मनाई जाती है. इस बार 31 अगस्त 2022 को बड़े उल्लास के साथ गणेश चतुर्थी का पर्व मनाया जाएगा. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इसी दिन सुख-समृद्धि के देवता भगवान गणेश जी का जन्म हुआ था. गणपति महाराज को शुभ, बुद्धि, सुख और समृद्धि का देवता माना जाता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, जहां गणेश जी स्वयं विराजते हैं, वहां रिद्धि-सिद्धि , शुभ-लाभ भी निवास करते हैं. पंडित इंद्रमणि घनस्याल बताते हैं कि उनकी पूजा से शुरू किए गए किसी भी कार्य में कोई बाधा नहीं आती है, इसलिए भगवान गणेश को विघ्नहर्ता कहा जाता है.

गणेश जी को सिंदूर क्यों प्रिय है?
गणेश पुराण की कथा के अनुसार, जब गणेश जी बाल्यावस्था में थे, तब उन्होंने सिंदूर नाम के एक असुर का संहार किया था. इसके बाद गणेश जी ने उसका रक्त अपने शरीर पर लगाया था. मान्यता है कि इस वजह से गणपति महाराज को लाल सिंदूर बहुत प्रिय है. गणेश जी को स्नान कराने के बाद लाल सिंदूर चढ़ाने से गणेश जी का आशीर्वाद मिलता है. घर में सुख-समृद्धि का वास होता है. गणेश जी की कृपा से आपको हर क्षेत्र में सफलता मिलेगी.
गणपति को सिंदूर चढ़ाने के फायदे
सिंदूर चढ़ाने से व्यक्ति को शांति और समृद्धि का आशीर्वाद प्राप्त होता है. सिंदूर चढ़ाने से शीघ्र विवाह की मनोकामना पूर्ण होती है. जिन दंपत्तियों को संतान नहीं होती है, उन्हें बुद्धिमान और स्वस्थ संतान की प्राप्ति का वरदान मिलता है. महत्वपूर्ण कार्यों पर घर से निकलने से पहले गणेश जी को सिंदूर अर्पित करने से शुभ समाचार मिलते हैं. नौकरी के लिए इंटरव्यू और परीक्षा देने जाते समय भी गणेश जी को सिंदूर चढ़ाना शुभ होता है.
गणेश जी को सिंदूर कैसे अर्पित करें?
सबसे पहले स्नान करने के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करना चाहिए. इसके बाद उत्तर या ईशाान कोण की ओर मुख कर गणेश जी की पूजा करें. गणेश जी की मूर्ति या तस्वीर पर जल छिड़कें. एक बाती से गाय के घी का दीपक जलाएं. लाल रंग के फूल या दूर्वा घास चढ़ाएं. सुगंधित फूलों की हल्की अगरबत्ती जलाएं. फिर निम्न मंत्र का जाप करके गणेश जी के माथे पर सिंदूर लगाएं. फिर इसे स्वयं पर और उपस्थित लोगों के माथे पर लगाएं. मोदक या मौसमी फल चढ़ाएं. इस तरह पूजा संपूर्ण करें.


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