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धर्म-अध्यात्म
जानिए क्यों देवी-देवताओं को क्यों चढ़ाया जाता है नारियल, आखिर क्या है मान्यता
Apurva Srivastav
2 Jun 2021 7:06 AM GMT
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सनातन धर्म में पूजा के दौरान तमाम चीजें भगवान को अर्पित की जाती हैं
सनातन धर्म में पूजा के दौरान तमाम चीजें भगवान को अर्पित की जाती हैं. उसमें नारियल का अपना अलग महत्व है. कई अनुष्ठानों में तो नारियल के बगैर पूजा अधूरी मानी जाती है. मान्यता है नारियल का भोग भगवान ग्रहण करते हैं और प्रसन्न होकर भक्तों को आशीर्वाद देते हैं. इसके अलावा कोई नया या शुभ काम करने के दौरान भी नारियल फोड़ने का चलन है. लेकिन आखिर धार्मिक कार्यों के दौरान नारियल इतना अहम् क्यों माना जाता है, जानिए इसके बारे में.
नारियल का फल चढ़़ाने के पीछे कई तरह की मान्यताएं प्रचलित हैं. कहा जाता है कि विष्णु भगवान पृथ्वी पर अवतरित होते समय मां लक्ष्मी के साथ नारियल का वृक्ष और कामधेनु दोनों को अपने साथ लाए थे, इसलिए ये भगवान को अति प्रिय है. इसके अलावा कुछ विद्वानों का मत है कि नारियल ही वो कल्पवृक्ष है जिसका जिक्र अक्सर शास्त्रों में मिलता है. कल्पवृक्ष में ब्रह्मा, विष्णु और महेश का वास होता है. इसलिए इस वृक्ष का फल भगवान को अति प्रिय होता है और इसे चढ़ाने से भगवान प्रसन्न होते हैं. कुछ लोग नारियल पर बनी तीन आखों को शिव जी के तीन नेत्र मानते हैं. कुल मिलाकर नारियल का संबन्ध देवताओं से जोड़कर देखा जाता है, इसलिए इसे पवित्र माना जाता है और भगवान को अर्पित किया जाता है.
इसलिए नारियल फोड़कर किया जाता है शुभ काम
हिंदू धर्म में कई तरह की परंपराएं पौराणिक काल से चली आ रही हैं. इन्हीं में से एक परंपरा नरबलि की भी है. माना जाता है कि पुराने समय में साधक अपनी साधना पूरी करने के लिए और अपनी मनोकामना की पूर्ति के लिए नर बलि देते थे. बाद में इस प्रथा को बंद कर दिया गया और नर की जगह नारियल की बलि दी जाने लगी क्योंकि नारियल को नर का प्रतीक माना जाता है. इसके ऊपर के बुच को बाल इसके सख्त हिस्से को खोपड़ी और पानी को रक्त की संज्ञा दी जाती है.
मानव के रूप में विश्वामित्र ने तैयार किया था नारियल
ये भी मान्यता है कि नारियल को मानव के रूप में विश्वामित्र ने तैयार किया था. एक बार वे इन्द्र से रुष्ट हो गए और दूसरे स्वर्ग लोक का निर्माण करने लगे. उसके बाद उनका मन बदला और वो दूसरी सृष्टि का ही निर्माण करने लगे. तब उन्होंने मानव के रूप में नारियल का निर्माण किया. इसीलिए नारियल के खोल पर बाहर दो आंखें और एक मुख की रचना होती है.
Apurva Srivastav
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