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- जानिए बकरीद को क्यों...
जनता से रिश्ता वेबडेस्क | बकरीद यानी कुर्बानी की ईद. इसे ईद-उल-अजहा (Eid-ul-Adha) भी कहा गया है. ये ऐसा पर्व है जो अपने फर्ज के लिए कुर्बानी की भावना सिखाता है. इस साल बकरीद का पर्व 21 जुलाई, बुधवार को मनाया जाएगा. जानें इस पर्व से जुड़ी कई ऐसी बातें, जो शायद ही आपको पता हों.Also Read - UP Bakrid Guidelines: यूपी में बकरीद के लिए दिशा निर्देश जारी, जानें योगी सरकार की तरफ से जारी पूरी गाइडलाइंस
बकरीद का इतिहास
हजरत इब्राहिम को अल्लाह ने आजमाइश का हुक्म दिया. उन्हें हुक्म मिला कि वे अपनी सबसे प्यारी चीज को कुर्बान कर दें. हजरत मुश्किल में पड़ गए. वे सोचने लगे कि आखिर उन्हें सबसे प्यार क्या है, जिसे वे कुर्बान करें. Also Read - केरल को सुप्रीम कोर्ट से मिली राहत: बकरीद मनाने पर आज किसी तरह की रोक नहीं, कल होगी सुनवाई
तभी उन्हें अपने बेटे हजरत इस्माइल का ख्याल आया. उन्होंने सोच लिया कि वे बेटे को ही कुर्बान करेंगे क्योंकि वे उससे बहुत प्यार करते थे. वे अपने बेटे को कुर्बान करने निकल पड़े. उन्होंने आंखों पर पट्टी बांधी जिससे कुर्बानी के समय उनके हाथ रुक न जाएं. और कुर्बानी दे दी. Also Read - Kerala Lockdown News: IMA की धमकी-बकरीद में लॉकडाउन से कैसे दे सकते छूट? वापस लें आदेश, नहीं तो...
पर जब उन्होंने पट्टी उतारी तो देखा कि उनके बेटे सही-सलामत थे. रेत पर एक भेड़ कटा पड़ा था. कहते हैं कि अल्लाह ने उनकी कुर्बानी की भावना से खुश होकर बेटे को जीवनदान दिया था. तभी से जानवरों की कुर्बानी को अल्लाह का हुक्म माना गया और बकरीद का पर्व मनाया जाने लगा.
बकरीद के दिन लोग सुबह जल्दी उठकर नहाकर नए कपड़े पहने हैं. ईदगाह में ईद की नमाज अदा करते हैं. नमाज के बाद एक-दूसरे से गले मिलते हैं. ईद की मुबारकबाद देते हैं. फिर जानवरों की कुर्बानी का सिलसिला शुरू हो जाता है.