धर्म-अध्यात्म

जानिए आमलकी एकादशी के दिन क्यों की जाती है आंवले के वृक्ष की पूजा?

Gulabi
22 March 2021 11:20 AM GMT
जानिए आमलकी एकादशी के दिन क्यों की जाती है आंवले के वृक्ष की पूजा?
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रंगभरनी एकादशी

Rang Bhari Ekadashi 2021 Date, Ekadashi 2021: एकादशी का व्रत सभी व्रतों में विशेष माना गया है. वहीं एकादशी व्रत को सबसे कठिन व्रतों में से एक बताया गया है. एकादशी का व्रत सभी प्रकार की मनोकामनाओं को पूर्ण करता है.

पंचांग के अनुसार 25 मार्च को एकादशी की तिथि है. इस एकादशी का आमलकी एकादशी कहा जाता है. आमलकी एकादशी को सभी एकादशी तिथियों में विशेष दर्जा प्राप्त है. शास्त्रों में आमलकी का अर्थ आंवला बताया गया है. स्वास्थ्य की दृष्टि से आवंला बहुत ही गुणकारी माना गया है जो कई प्रकार के रोगों को दूर करने में भी सक्षम होता है. आमलकी एकादशी के दिन आंवले के पेड़ की पूजा की जाती है. आमलकी एकादशी का व्रत जीवन में आंवले के महत्व को भी दर्शाती है.

श्रीकृष्ण ने युधिष्टिर को एकादशी व्रत की दी थी जानकारी
पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान श्रीकृष्ण ने महाभारत काल में युधिष्टिर और अर्जुन को एकादशी व्रत के महामात्य के बारे भी में बताया था. भगवान श्रीकृष्ण के कहने पर युधिष्टिर ने विधि पूर्वक एकादशी व्रत को पूर्ण किया था.

आंवला के पेड़ की पूजा की जाती है
माना जाता है कि जब भगवान विष्णु ने संपूर्ण सृष्टि के निर्माण के लिए ब्रह्मा जी को जन्म दिया, तो भगवान ने आंवले के पेड़ को भी जन्म दिया. इसीलिए शास्त्रों में आंवले के पेड़ को आदि वृक्ष भी कहा गया है. मान्यता है कि आंवले के पेड में भगवान विष्णु का वास होता है. इसीलिए इस दिन आंवले के वृक्ष की पूजा की जाती है.

रंगभरनी एकादशी
आमलकी एकादशी को रंगभरनी एकादशी भी कहा जाता है. रंगभरनी एकादशी की कथा भगवान शिव से जुड़ी हुई है. कथाओं के अनुसार माता पार्वती से विवाह के बाद जब भगवान शिव पहली बार जब काशी लौटे थे तो यहां के लोगों ने शंकर जी के स्वागत में पूरे काशी को अलग अलग रंगों से सजा दिया था. इसीलिए इसे रंगभरनी एकादशी भी कहा जाता है.

आमलकी एकादशी तिथि का मुहूर्त
आमलकी एकादशी तिथि आरंभ: 24 मार्च को प्रात: 10 बजकर 23 मिनट से.
आमलकी एकादशी तिथि समापन: 25 मार्च प्रात: 09 बजकर 47 मिनट तक.
आमलकी एकादशी व्रत पारण मुहूर्त: 26 मार्च प्रात: 06:18 बजे से 08:21 बजे तक.


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