धर्म-अध्यात्म

जानें विभिन्न धर्मों में किस जल को माना गया है 'पवित्र'

Bhumika Sahu
15 Aug 2021 5:49 AM GMT
जानें विभिन्न धर्मों में किस जल को माना गया है पवित्र
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जल के बगैर जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती है. सनातन परंपरा में गंगा जल को सबसे पवित्र माना गया है. जीवन की शुरुआत से लेकर अंत तक जुड़े रहने वाले इस जल के विभिन्न धर्मों में क्या मायने हैं, जानने के लिए जरूर पढ़ें ये लेख.

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। मनुष्य का शरीर पंचतत्वों से बना है. सनातन परंपरा में इन पंचतत्वों में से जल काे बहुत ज्यादा महत्व दिया गया है. हिंदू धर्म में शायद ही कोई ऐसा धार्मिक कार्य होगा जो बगैर इस जल के बगैर पूरा होता है. जिस तरह हिंदू धर्म में गंगा जल को सबसे ज्यादा पवित्र और पावन माना गया है, वैसे ही जीवन रूपी इस जल की महिमा का गुणगान बाकी सभी धर्मों में विस्तार से मिलता है. यही कारण है कि यह जल हिंदू धर्म की तरह बाकी धर्मों में पूजा पद्धति का अभिन्न अंग बन गया है. आइए जानते हैं विभिन्न धर्मों में जल की क्या महत्ता है –

हिंदू धर्म में गंगा जल को माना गया है सबसे पवित्र
सनातन परंपरा में जल किसी व्‍यक्ति के पृथ्वी पर जन्म लेने से लेकर अंत तक जुड़ा रहता है. विभिन्न धार्मिक कार्यों से लेकर तमाम संस्कारों को पूरा करने में इस जल का जुड़ाव बना रहता है. माना जाता है कि इस जल में कई आध्यात्मिक शक्तियां सन्निहित होती हैं. वैसे हिंदू धर्म में सबसे ज्यादा शुद्ध एवं पवित्र जल गंगा जल को माना गया है, जिसमें डुबकी लगाने के लिए हर 12 साल में दुनिया भर से लोग पहुंचते हैं और उसे अपने साथ किसी पात्र में रखकर ले जाते हैं. दुनिया भर में रहने वाले तमाम हिंदुओं की ख्वाहिश होती है कि उनके जीवन की पूर्णता के बाद उनकी अस्थियों का प्रवाह इसी गंगा जल में हो.
सिख धर्म में पवित्र सरोवरों का है बहुत महत्‍व
सिख धर्म में भी जल का बहुत महत्व है. यही कारण है कि देश के प्रमुख गुरुद्वारा में पवित्र जल सरोवर बनाये गये हैं. अमृतसर स्थित स्वर्ण मंदिर के सरोवर को अमृत झील कहते हैं. इस पवित्र सरोवर में स्नान करने की परंपरा है. इसी तरह जल से बनाए गये अमृतपान की परंपरा भी सिखी धर्म में है, जिसे पवित्र गुरुद्वारे में श्री गुरुग्रंथ साहिब की उपस्थिति में लोगों को कराया जाता है.
जानें ईसाई परंपरा में पवित्र जल के मायने
विभिन्न धर्मों की तरह ईसाई धर्म में भी जल को बहुत पवित्र माना गया है. किसी भी बच्चे का बप्तिस्मा करने की प्रक्रिया में पवित्र जल का प्रयोग किया जाता है. ईसाई परंपरा का यह संस्कार जल में डुबकी लगवाकर करवाया जाता है.
इस्लाम में 'आबे जमजम' की है बहुत महत्ता
इस्लामिक परंपरा में भी जल को भी बहुत पवित्र माना गया है. हज की यात्रा करने वाला मुस्लिम व्यक्ति जब मक्का जाता है तो वहां पर स्थित कुंऐ से निकलने वाले 'आबे जमजम' नामक पवित्र जल को अपने साथ जरूर लेकर आता है. मान्यता है कि इस पवित्र जल से जीवन से जुड़ी तमाम तरह की बाधाएं दूर हो जाती है.


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