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हमारे यहां वस्त्रों के लिए भी कई नियम है। हिंदू मान्यताओं और वैदिक पूजन पद्धति में विभिन्न वस्तुओं और रीतियों का बहुत महत्व है।
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। हमारे यहां वस्त्रों के लिए भी कई नियम है। हिंदू मान्यताओं और वैदिक पूजन पद्धति में विभिन्न वस्तुओं और रीतियों का बहुत महत्व है। माना जाता है कि पूजन की कुछ विधियां तो ऐसी हैं जिनके बिना पूजन अधूरा माना जाता है। ऐसी ही मान्यताऐं पूजन के दौरान परिधान पहनने और उसके रंग से जुड़ी हैं।
वस्त्र शुद्ध और पवित्र:
जहां परिधानों और वस्त्रों का शुद्ध और पवित्र होना जरूरी है वहीं इनका रंग भी अलग अलग पूजन के लिए मायने रखता है। जैसे मां बगलामुखी का पूजन करना हो तो हमें पीले वस्त्र ही पहनने होते हैं, यह तंत्रोक्त साधना के लिए बेहद आवश्यक है। उसी तरह से स्त्रियों के लिए पूजन के दौरान सफेद वस्त्र शुभकर नहीं माने जाते हैं।
सफेद वस्त्र वैधव्य का प्रतीक:
दरअसल सफेद वस्त्र वैधव्य का प्रतीक होते हैं। प्राचीन मान्यता है कि स्त्री का पति मर जाने के बाद उसके जीवन के सभी रंग समाप्त हो जाया करते थे। इसलिए एक विधवा को शुभ्र परिधान या साड़ी पहनाई जाती थी। इसके अलावा प्राचीन मान्यताओं में विधवा के लिए कुछ पूजन को वर्जित माना जाता था।
लाल रंग प्रेम और सौभाग्य का प्रतीक:
लाल रंग को पूजन के लिए शुभ माना जाता है। लाल रंग प्रेम और सौभाग्य का प्रतीक होता है वहीं नारंगी रंग त्याग और पवित्रता का प्रतीक होता है।
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