धर्म-अध्यात्म

जानें क्या आप की कुंडली में है धन योग

Tulsi Rao
11 Dec 2022 11:08 AM GMT
जानें क्या आप की कुंडली में है धन योग
x

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। आप अपने आसपास अक्सर यह देखते होंगे कि कोई व्यक्ति अचानक से धनवान बन जाता है. उसके पास थोडे़ ही दिनों में ऐशो आराम और सुख-सुविधा की सभी चीजें मौजूद हो जाती हैं. व्यक्ति की जीवन शैली में अचानक बदलाव आने लगता है क्योंकि व्यक्ति का भाग्य बदल जाता है उसे अचानक से धन की प्राप्ति होने लगती है. व्यक्ति जिस काम को करता है उसमें वह सफल होने लगता है और बाधाएं खत्म हो जाती है.

दरअसल, किसी व्यक्ति के जीवन में अचानक इस तरह का शुभ परिवर्तन उसकी कुंडली में मौजूद शुभ ग्रहों के योग के कारण संभव हो पाता है. कुंडली में ग्रहों के संयोग से व्यक्ति को अचानक से धन-दौलत और ऐशो-आराम मिलने लगती है. वैदिक ज्योतिष के अनुसार कोई व्यक्ति तब अचानक से धनी बनता है जब उसकी कुंडली में ग्रह और भाव के स्वामी कुछ विशेष तरह के योग बनाते हैं. आइए जानते हैं कुंडली में ऐसे कौन-कौन से योग होते हैं जिससे व्यक्ति अचानक से धनवान बन जाता जाता है और जीवन में उसे सभी तरह की सुख-सुविधाएं व ऐशोआराम मिलने लगता है.

कुंडली में धन योग

कुंडली विश्लेषण के अनुसार कुंडली का दूसरा भाव धन का और एकादश लाभ का भाव कहलाया जाता है. कुंडली के दूसरे घर से पैतृक संपत्ति के बारे में विचार किया जाता है वहीं एकादश भाव से जातक स्वयं से धन अर्जित करत है.

वैदिक ज्योतिष शास्त्र के अनुसार कुंडली के छठवें स्थान से नौकरी और सातवें स्थान से बिजनेस में साझेदारी का विचार किया जाता है. कोई व्यक्ति के धनवान बनने में इन दोनों भाव का अत्यंत महत्व होता है.

कुंडली में चौथा भाव जमीन-जायदाद और संपत्ति का विचार किया जाता है. इस भाव में शुभ ग्रहों के बैठने पर व्यक्ति को अचानक से धन-संपत्ति की प्राप्ति होती है.

जब किसी व्यक्ति की कुंडली में दूसरे भाव का स्वामी लाभ स्थान में आकर विराजमान हो जाए या फिर लाभ भाव का स्वामी धन भाव में जाकर बैठ जाता है तो व्यक्ति धनवान बनता है.

किसी व्यक्ति को तब अचानक से धन की प्राप्ति होती है या वह धनवान बनता है जब दूसरे और एकादश भाव के स्वामी त्रिकोण में विराजमान होकर एक दूसरे को देखते हों .

जब किसी जातक की कुंडली में छठे भाव के स्वामी एकादशी भाव के स्वामी के साथ उसी स्थान पर मौजूद होते हैं तो ऐसे लोग पहले नौकरी करते है फिर समय के साथ साथ बड़ा व्यापारी बन जाता है.

कुंडली में अगर शनि,मंगल और राहु जैसे ग्रह धन स्थान पर बली होकर बैठे हों तो व्यक्ति धनवान बनता है और अपनी मेहनत से जीवन में काफी ऊंचा स्थान प्राप्त होता है.

जब किसी जातक की कुंडली में दूसरे और चौथे भाव के स्वामी नौवें और दसवें स्थान पर बैठे हो तो व्यक्ति को माता के सहयोग से पैतृक संपत्ति की प्राप्ति हो सकती है.

जब दूसरे भाव के स्वामी आठवें भाव के स्वामी के साथ उसी स्थान में बलवान होकर बैठे तो जातक पर देवकृपा रहती है. ऐसे लोग को अचानक और गुप्त धन की प्राप्ति की हो सकती है.

जब किसी जातक की कुंडली में सू्र्य, गुरु और बुध उच्च रहते हुए लाभ भाव में जाकर विराजमान हो तो व्यक्ति बहुत बड़ा बिजनेसमैन बनकर धन संपत्ति अर्जित करता है.

Next Story