धर्म-अध्यात्म

जानिए क्या सच में इस गुप्त नवरात्री में देवी मां दुर्गा घोड़े पर सवार होकर आ रही हैं , गुप्त नवरात्रि मेंकैसे करें देवी को प्रसन्न

Usha dhiwar
24 Jun 2024 12:56 PM GMT
जानिए क्या सच में इस गुप्त नवरात्री में देवी मां दुर्गा घोड़े पर सवार होकर आ रही हैं , गुप्त नवरात्रि मेंकैसे करें देवी को प्रसन्न
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देवी मां दुर्गा घोड़े पर सवार होकर आ रही हैं:- Goddess Durga is coming on a horse आषाढ़ मास शुरू हो चुका है. इस महीने के शुक्ल पक्ष में भी नवरात्रि पड़ती है जिसे लोग गुप्त नवरात्रि कहते हैं. गुप्त इसलिए क्योंकि इसका चैत्र या क्वांर की नवरात्रि की तरह पूजन नहीं होता. इस बार गुप्त नवरात्रि अगले महीने जुलाई में पड़ रही है.
इस साल आषाढ़ शुक्ल पक्ष प्रतिपदा शनिवार दिनांक 6 जुलाई को है. इसका शुभ मुहूर्त सुबह 07.37 से 09.19 बजे तक और फिर दोपहर 12.15 से 01.10 बजे तक है. अभिजीत वेला में पूजन और घटस्थापना करना श्रेष्ठ है.
घोड़े पर सवार होकर आएंगी मां
ज्योतिषाचार्य बता रहे हैं, इस बार गुप्त नवरात्रि में भगवती मां दुर्गा घोड़े पर सवार होकर आ रही हैं. इससे देश दुनिया में प्राकृतिक आपदा, युद्ध और सत्ता परिवर्तन के संकेत हैं.
बनाएं गुरु
नवरात्रि महोत्सव भारत के विविध प्रांतों में Navratri Festival in Various States of India विविध प्रकार से मनाया जाता हैं. सबका उद्देश्य एक ही है. मां को प्रसन्न कर फल प्राप्त करना. नवरात्रि का वैज्ञानिक महत्व यह है कि दिन के समय मनुष्य की इन्द्रियाँ व्यस्त रहती हैं और रात्रि के समय व्यक्ति शांत वातावरण में एवं किसी भी प्रकार के व्यवधान के बिना देवी की आराधना, जप एवं एकाग्रता पूर्वक ध्यान करके माँ दुर्गा की उपासना कर सकता है
One can worship Goddess Durga by meditating.
. इस कारण ही नवरात्रि का तात्पर्य 9 रात्रि से है. शास्त्रों में लिखा है -”स्त्रीणां पतिरेव गुरुणाम्-” स्त्रियों को अपने पति को ही गुरु बनाना चाहिए.
नवरात्रि में कन्या-पूजन का महत्व
नवरात्रि में विशेषकर अष्टमी एवं नवमी के दिन सनातनधर्मी कन्याओं का पूजन करते हैं. On the ninth day, Sanatan Dharma followers worship girls कन्याओं को आसन या बाजोट पर बैठाकर इष्ट देवी के स्वरूप मानकर विधि- विधान से पूजा करते हैं. स्त्रीय: समस्तास्तव देवी! भेदा: इस सिद्धांत के अनुसार समस्त नारियों को देवी का स्वरूप कहा गया है. इसलिए हमें सभी नारियों का सम्मान करना चाहिए.
देवी-पूजा के नियम ध्यान से सुनें
शास्त्रों में लिखा है-‘विश्वासों फलदायकः’ विश्वास के साथ किया गया कार्य ही फल प्रदान करता हैं.
1. देवी को उत्तराभिमुखी नहीं बैठाना चाहिए.
2. माताजी के दाहिनी तरफ काल भैरव का पूजन करें और बायीं ओर गौर भैरव का पूजन करना चाहिए.
3. माताजी के दाहिनी तरफ घी का पूजन करें और बायीं ओर तिली के तेल का दीपक करना चाहिए.
4. देवी की आराधना, व्रत एवं नवचण्डी यज्ञ करने से सारे मनोरथ पूर्ण होते हैं.
दिन देवी के मन्दिर में सुगंधित पुष्पमाला-पुष्प एवं पान चढ़ाने से घर में सुख-शांति बनी रहती है.
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