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कैसी है घर की दक्षिण दिशा : इस दिशा में शयन कक्ष तथा भण्डार गृह रखना चाहिए।
मंगलदेव का एक मात्र पवित्र और जागृत स्थान महाराष्ट्र के जलगांव के पास अमलनेर में स्थित है। मंगलदेव का रंग लाल है। उनका वाहन भेड़ है और वे हाथों में त्रिशूल, गदा, पद्म, भाला या शूल धारण किए हुए हैं। लाल रंग के कारण उन्हें अंगारक भी कहते हैं और उनकी पत्नि का नाम ज्वालिनी देवी है। आओ जानते हैं कि घर में उनकी मूर्ति या तस्वीर कहां रखनी चाहिए।
मंगलकर्ता हैं मंगलदेव : मंगलदेव मंगलकर्ता हैं। उन्हें घर के पवित्र स्थान पर विराजित करना चाहिए। यदि उनकी मूर्ति या तस्वीर उचित स्थान पर नहीं रखी है तो फिर उसका आपको फल नहीं मिलेगा। वैदिक ज्योतिष में मंगल ग्रह को धैर्य, पराक्रम, साहस, शक्ति, क्रोध, उत्तेजना षड्यंत्र, शत्रु, विवाद, छोटे भाई, अचल संपत्ति, भूमि और रक्त आदि का कारक ग्रह माना गया है। घर में दक्षिण की दिशा वास्तु के अनुसार होने से मंगल का नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ता है।
दक्षिण है उनकी दिशा, उत्तर में रखें मूर्ति या तस्वीर : दक्षिण दिशा में मंगल ग्रह है या कहें कि मंगल ग्रह की दिशा दक्षिण हैं। वे दक्षिण में निवास करते हैं। मंगलदेव की मूर्ति या तस्वीर को घर में रखना हो तो उन्हें इस तरह रखें कि उनका मुंह दक्षिण दिशा की ओर हो। घर का की उत्तर दिशा में उनकी मूर्ति विराजित करें जिसका मुंह दक्षिण दिशा की ओर हो।
कैसी है घर की दक्षिण दिशा : इस दिशा में शयन कक्ष तथा भण्डार गृह रखना चाहिए। यदि ऐसा नहीं कर पा रहे हैं तो इस दिशा में भारी सामान रखना चाहिए। यदि यह दिशा दूषित है तो गृहस्वामी को कष्ट, रक्त संबंधी रोग, क्रोध, गृह कलह, घटना और दुर्घटना बढ़ जाती है। भाइयों से शत्रुता होती है।
Apurva Srivastav
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