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आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को देवशयनी एकदशी कहते हैं। इस दिन से भगवान विष्णु चार महीने के लिए योग निद्रा में चले जाते हैं।
आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को देवशयनी एकदशी कहते हैं। इस दिन से भगवान विष्णु चार महीने के लिए योग निद्रा में चले जाते हैं। ऐसे में चातुर्मास (Chaturmas) आरंभ हो जाता है। इन दिनों में विवाह, मुंडन, गृह प्रवेश आदि सभी शुभ कार्यक्रमों पर रोक लग जाती है क्योंकि इस समय इन कामों को करने से अशुभ फल मिलते हैं और जीवन मे मुश्किलें बढ़ने लगती हैं। इस साल देवशयनी एकादशी 10 जुलाई को पड़ने वाली है, इसका समापन 4 नवंबर को होगा।
देवउठनी एकादशी पर भगवान विष्णु पुनः जागते हैं और उसके बाद सभी शुभ कार्यक्रमों को सम्पन्न किया जा सकता है। चलिए आज हम आपको बताते हैं कि चतुर्मास में कौन से कार्य को वर्जित माना गया है जिन्हें हमें नहीं करना चाहिए।
वर्जित कार्य :
इन 4 माह में विवाह संस्कार, नामकरण, गृह प्रवेश, मुंडन, जनेऊ आदि सभी मंगल कार्य निषेध माने गए हैं।
इस माह लोगों को किसी से भी झूठ नहीं बोलना चाहिए।
इस व्रत में दूध, तेल, बैंगन, पत्तेदार सब्जियां, नमकीन या मसालेदार भोजन, सुपारी, मांस और मदिरा का सेवन आदि का त्याग कर दिया जाता है।
मनुष्य को बेड की जगह जमीन पर सोना चाहिए ऐसा करने से भगवान सूर्य प्रसन्न होते हैं।
प्रतिदिन तुलसी पूजा करने से दरिद्रता खत्म होती है।
चतुर्मास हर तरह के शुभ कार्यों के लिए तो वर्जित होता है लेकिन धार्मिक कार्य पूजा-पाठ के लिए व्रत आदि करने के लिए सबसे उत्तम माना जाता हैं। कहा जाता है की मनुष्य किसी भी प्रकार के व्रत को शुरू कर सकते हैं और जो इस समय व्रत प्रारंभ करते है उन्हें दोगुना फल प्राप्त होता है।
Ritisha Jaiswal
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