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जनता से रिश्ता वेबडेस्क | वर्ष 2020 का अगला प्रदोष व्रत 27 नवंबर को है। प्रत्येक वर्ष की कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत किया जाता है। 27 नवंबर को कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत किया जाएगा। यह व्रत माता पार्वती और भगवान शिव को समर्पित है। पुराणों के अनुसार, इस व्रत को बेहतर स्वास्थ और लम्बी आयु की प्राप्ति के लिए किया जाता है। प्रदोष व्रत हर वर्ष कई बार आता है। यह व्रत महीने में प्रायः दो बार आता है। आइए जानते हैं क्या है प्रदोष व्रत।
क्या है प्रदोष व्रत?
हर माह के कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत किया जाता है। इसे त्रयोदशी तिथि का व्रत भी कहा जाता है। मान्यता है कि सूर्यास्त के बाद और रात्रि के आने से पहले का जो समय होता है उसे ही प्रदोष काल कहा जाता है। इस व्रत में शिव जी और माता पार्वती की पूजा की जाती है। मान्यता है कि अगर कोई सच्चे मन और निष्ठा के साथ यह व्रत करें तो उसकी हर इच्छा पूर्ण होती है। वैसे तो हिन्दू धर्म में हर महीने की प्रत्येक तिथि को कोई न कोई व्रत होता ही है लेकिन उन सब में से प्रदोष व्रत को काफी ज्यादा मान्यता दी गई है।
शास्त्रों के अनुसार, हर मास के दोनों पक्षों की त्रयोदशी तिथि में शाम के समय प्रदोष होता ही है। कहा जाता है कि जिस समय प्रदोष होता है उस समय शिव जी कैलाश पर्वत स्थित अपने रजत भवन में नृत्य कर रहे होते हैं। यही कारण है कि लोग शिव जी को प्रसन्न करने के लिए प्रदोष व्रत करते हैं। मान्यता है तो यह भी है कि अगर यह व्रत किया जाए तो हर तरह के दोष मिट जाता है। कलयुग में प्रदोष व्रत को करना बहुत मंगलकारी होता है। ऐसे में इस व्रत का महत्व बहुत ज्यादा है।