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जानें कब लग रहा है वर्ष 2020 का अंतिम चंद्र ग्रहण, क्या हैं तारीख
ज्योतिषाचार्य पं. दयानंद शास्त्री ने बताया कि व्यक्ति को अपने आपको शुद्ध और पवित्र बनाए रखना होगा। ग्रहणकाल के दौरान अपना और छोटे बच्चों का विशेष ध्यान रखने की जरूरत है। धार्मिक शास्त्रों के अनुसार, ग्रहण काल में भगवान की मूर्ति स्पर्श नहीं करनी चाहिए। इसके अलावा सूतक काल ग्रहण लगना पहले ही शुरू हो जाता है। इस समय खाने पीने की मनाही होती है। ग्रहण के दौरान बाल और नाखून काटने से बचना चाहिए। इसके अलावा न तो कुछ खाना चाहिए और न ही खाना बनाना चाहिए।
चंद्र ग्रहण तिथि:
उपच्छाया से पहला स्पर्श 30 नवंबर 2020 की दोपहर 1 बजकर 04 मिनट पर
परमग्रास चन्द्र ग्रहण 30 नवंबर 2020 की दोपहर 3 बजकर 13 मिनट पर
उपच्छाया से अन्तिम स्पर्श 30 नवंबर 2020 की शाम 5 बजकर 22 मिनट पर
चंद्र ग्रहण 2020 सूतक काल का समय:
सूतक काल प्रारंभ- इस बार लगने वाले चंद्रग्रहण में सूतककाल मान्य नहीं होगा।
जानें क्या है उपच्छाया चंद्र ग्रहण:
ग्रहण से पहले चंद्रमा, पृथ्वी की परछाईं में प्रवेश करता है जिसे उपच्छाया कहते हैं। इसके बाद ही चंद्रमा पृथ्वी की वास्तविक छाया में प्रवेश करता है। जब चंद्रमा पृथ्वी की वास्तविक छाया में प्रवेश करता है, तब वास्तविक ग्रहण होता है। लेकिन कई बार चंद्रमा धरती की वास्तविक छाया में जाए बिना, उसकी उपच्छाया से ही बाहर निकल आता है। जब चंद्रमा पर पृथ्वी की छाया न पड़कर केवल उसकी उपछाया मात्र ही पड़ती है, तब उपच्छाया चंद्र ग्रहण होता है। इसमें चंद्रमा के आकार में कोई अंतर नहीं आता है। इसमें चंद्रमा पर एक धुंधली-सी छाया नजर आती है।
जानें क्या कहता है आयुर्वेद:
आयुर्वेद की दृष्टि से, ग्रहण से दो घंटे पहले हल्का और आसानी से पचने वाला भोजन खाने की सलाह दी जाती है। ग्रहण के दौरान कुछ भी न खाएं और न ही पीएं।
चंद्र ग्रहण की धार्मिक मान्यता:
मान्यता है कि चंद्र ग्रहण को बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। ज्योतिष शास्त्र में चंद्रमा को मन का कारक कहा गया है। ऐसे में जब भी चंद्रमा पर ग्रहण लगता है तो व्यक्ति के मन पर सीधा असर होता है। अगर व्यक्ति की कुंडली में चंद्र ग्रहण पीड़ित हो या चंद्र ग्रहण दोष बन रहा हो तो चंद्र ग्रहण का असर इन लोगों पर अधिक पड़ता है। इसके अलावा चंद्र ग्रहण के समय चंद्रमा पानी को अपनी ओर आकर्षित करता है। जिससे समुद्र में बड़ी -बड़ी लहरें काफी ऊचांई तक उठने लगती है। चंद्रमा को ग्रहण के समय अत्याधिक पीड़ा से गुजरना पड़ता है। इसी कारण से चंद्र ग्रहण के समय हवन, यज्ञ, और मंत्र जाप आदि किए जाते हैं। पुरातलन काल में ग्रहण के समय याचक लोग शोर मचाते, ढोल बजाते और दैत्यों की भर्त्सना में जोर-जोर से अपशब्द कहते सुने जाते थे। धार्मिक लोग उस समय विशेष रूप से जप-तप और दान-पुण्य करते थे।
ग्रहण के दौरान न करें निम्न कार्य:
चंद्र या सूर्य ग्रहण काल में अन्न, जल ग्रहण नहीं करना चाहिए। साथ ही जो लोग शादी-शुदा हैं उन्हें इस दौरान सहवास से भी बचना चाहिए। गुरुमंत्र का जाप करें इससे कष्ट दूर होते हैं। ग्रहण को खुली आंखों से न देखें। हालांकि, चंद्र ग्रहण देखने से आंखों पर कोई बुरा असर नहीं पड़ता है।