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लोहड़ी, उत्तर भारत विशेषकर पंजाब और हरियाणा में मनाया जाने वाला विशेष पर्व है। लोहड़ी का पर्व पौष माह की आखिरी रात मनाया जाता है
जनता से रिश्ता वेबडेस्क | लोहड़ी, उत्तर भारत विशेषकर पंजाब और हरियाणा में मनाया जाने वाला विशेष पर्व है। लोहड़ी का पर्व पौष माह की आखिरी रात मनाया जाता है। इस साल लोहड़ी का पर्व 13 जनवरी को मनया जाएगा।इसके अगले दिन माघ माह की शुरूआत पर माघी का त्योहार मानाया जाता है। इस दिन पूरे उत्तर भारत में मकर संक्रांति या उत्तरायण का पर्व मनाया जाता है। लोहड़ी का त्योहार जहां एक ओर दुल्ला भट्टी की लोक कथा से जुड़ा हुआ है तो वहीं इसका संबंध माता सती की पौरणिक कथा से भी है। आइए जानते हैं लोहड़ी पर्व की परंपरा और उसके महत्व के बारे में....
जानिए कैसे मनाते हैं लोहड़ी
लोहड़ी का पर्व पौष माह की आखिरी रात को धूम-धाम से मनाया जाता है। लोहड़ी का पर्व शीत ऋतु की समाप्ति और बसंत के आगमन के उपलक्ष में मनाया जाता है। इस दिन लोग खेत-खलिहानों में एकठ्ठा हो कर एक साथ लोहड़ी का पर्व मनाते हैं। इस दिन शाम के समय लोंग आग जला कर उसके चारों ओर नाच गा कर लोहड़ी का पर्व मनाते हैं। इस आग में रेवड़ी, मूंगफली, खील, मक्की के दाने डाले जाने की परंपरा है। इसके साथ ही घरों में तरह-तरह के पकवान भी बनाए जाते हैं। लोग एक दूसरे के साथ मिलकर नाचते गाते हैं, खुशियां मनाते हैं।
क्या है लोहड़ी की परंपरा
पंजाब में लोहड़ी को तिलोड़ी भी कहा जाता है। ये शब्द तिल और रोड़ी से मिलकर बना है। रोड़ी, गुड़ और रोटी से मिलकर बना पकवान है। लोहड़ी के दिन तिल और गुड़ खाने और आपस में बांटने की परंपरा है। ये त्योहार दुल्ला भट्टी और माता सती की कहानी से जुड़ा है। मान्यता है इस दिन ही प्रजापति दक्ष के यज्ञ में माता सती ने आत्मदाह किया था। इसके साथ ही इस दिन लोक नायक दुल्ला भट्टी, जिन्होंने मुगलों के आतंक से सिख युवतियों की लाज बचाई थी। उनकी याद में आज भी लोहड़ी का पर्व मनाया जाता है।लोग मिल जुल कर लोक गीत गाते हैं और ढोलताशे बजाए जाते हैं।
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