धर्म-अध्यात्म

जानिए मार्च 2022 में कब रखा जाएगा प्रदोष व्रत

Ritisha Jaiswal
11 March 2022 9:00 AM GMT
जानिए मार्च 2022 में कब रखा जाएगा प्रदोष व्रत
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हिंदू धर्म में हर महीने के दोनों पक्षों यानी कृष्ण और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी को प्रदोष व्रत रखा जाता है।

हिंदू धर्म में हर महीने के दोनों पक्षों यानी कृष्ण और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी को प्रदोष व्रत रखा जाता है। मान्यता है कि प्रदोष व्रत के दिन जो व्यक्ति पूरे भक्ति-भाव से भगवान शिव व माता पार्वती की पूजा करता है उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं। भक्त प्रदोष व्रत के दिन भगवान शंकर का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए व्रत भी करते हैं। भगवान शिव की कृपा दृष्टि उन पर सदैव बनी रहती है।

त्रयोदशी पूर्ण रूप से भगवान शंकर व माता पार्वती को समर्पित होती है। त्रयोदशी के दिन प्रदोष व्रत की पूजा प्रदोष काल में करना अत्यंत लाभकारी माना जाता है। महीने में जब प्रदोष व्रत सोमवार को पड़ता है तब इसे सोम प्रदोष व्रत कहा जाता है। जब यह व्रत मंगलवार को पड़ता है तब इसे भौम प्रदोष व्रत कहा जाता है। शनिवार को पड़ने वाले प्रदोष व्रत को शनि प्रदोष व्रत कहा जाता है। इन सभी प्रदोष व्रतों का अलग-अलग महत्व होता है।
मार्च 2022 में कब रखा जाएगा प्रदोष व्रत-
मार्च महीने में पहला प्रदोष व्रत 15 मार्च, मंगलवार को रखा जाएगा। इसी दिन फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि है। इस बार प्रदोष व्रत मंगलवार के दिन पड़ रहा है इसलिए इसे भौम प्रदोष व्रत कहा जाएगा।
मार्च 2022 प्रदोष व्रत का पूजन मुहूर्त-
मार्च महीने के पहले प्रदोष व्रत की त्रयोदशी तिथि 15 मार्च को दोपहर 01 बजकर 12 मिनट पर शुरू होगी जो कि 16 मार्च को दोपहर 01 बजकर 39 मिनट पर समाप्त होगी। प्रदोष काल 15 मार्च की शाम 06 बजकर 29 मिनट से रात 08 बजकर 53 मिनट पर रहेगा।
प्रदोष व्रत पूजा- विधि
सुबह जल्दी उठकर स्नान कर लें।
स्नान करने के बाद साफ- स्वच्छ वस्त्र पहन लें।
घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें।
अगर संभव है तो व्रत करें।
भगवान भोलेनाथ का गंगा जल से अभिषेक करें।
भगवान भोलेनाथ को पुष्प अर्पित करें।
इस दिन भोलेनाथ के साथ ही माता पार्वती और भगवान गणेश की पूजा भी करें। किसी भी शुभ कार्य से पहले भगवान गणेश की पूजा की जाती है।
भगवान शिव को भोग लगाएं। इस बात का ध्यान रखें भगवान को सिर्फ सात्विक चीजों का भोग लगाया जाता है।
भगवान शिव की आरती करें।
इस दिन भगवान का अधिक से अधिक ध्यान करें।






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