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धर्म-अध्यात्म
जानिए कब है प्रदोष व्रत, इस विधि से करें पूजा
Apurva Srivastav
29 April 2021 10:30 AM GMT
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प्रदोष के समय भगवान शिव कैलाश पर्वत के रजत भवन में नृत्य करते हैं
हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत का विशेष महत्व होता है। हर माह की त्रयोदशी को प्रदोष व्रत रखा जाता है। हर माह दो त्रयोदशी आती हैं। एक शुक्ल और एक कृष्ण पक्ष में। ऐसे में हर महीने दो प्रदोष व्रत रखे जाते हैं। मान्यता है कि प्रदोष के समय भगवान शिव कैलाश पर्वत के रजत भवन में नृत्य करते हैं और देवता उनके गुणों का स्तवन करते हैं।
शास्त्रों के अनुसार, प्रदोष को रखने से सभी दोषों से मुक्ति मिलती है। इसके साथ ही भगवान शिव अपने भक्तों पर असीम कृपा बरसाते हैं। प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव के साथ माता पार्वती की पूजा का भी विधान है। मान्यता है कि इस दिन प्रदोष काल में पूजा करने से सुख-संपत्ति और सौभाग्य की प्राप्ति होती है।
प्रदोष व्रत की पूजा कब करनी चाहिए?
प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव की पूजा प्रदोष काल में करनी चाहिए। सूर्यास्त से 45 मिनट पूर्व और सूर्यास्त के 45 मिनट बाद तक का समय प्रदोष काल कहा जाता है। कहा जाता है कि प्रदोष काल में भगवान शिव की पूजा करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है।
मई 2021 महीने में कब-कब रखा जाएगा प्रदोष व्रत-
मई 2021 महीने में पहला प्रदोष व्रत 08 मई को रखा जाएगा। इस दिन शनिवार होने के कारण यह शनि प्रदोष व्रत होगा। इसके बाद मई का दूसरा प्रदोष व्रत 24 मई को रखा जाएगा। इस दिन सोमवार होने के कारण यह सोम प्रदोष व्रत है।
प्रदोष व्रत नियम- प्रदोष व्रत यूं तो निर्जला रखा जाता है इसलिए इस व्रत में फलाहार का विशेष महत्व होता है। प्रदोष व्रत को पूरे दिन रखा जाता है। सुबह नित्य कर्म के बाद स्नान करें। व्रत संकल्प लें। फिर दूध का सेवन करें और पूरे दिन उपवास धारण करें।
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प्रदोष में क्या नहीं करना चाहिए- प्रदोष काल में भगवान शिव की पूजा करने के बाद ही भोजन ग्रहण करना चाहिए। प्रदोष व्रत में अन्न, नमक, मिर्च आदि का सेवन नहीं करना चाहिए। व्रत के समय एक बार ही फलाहार ग्रहण करना चाहिए।
पूजा की थाली में क्या-क्या होनी चाहिए सामग्री- प्रदोष व्रत में पूजा की थाली में अबीर, गुलाल, चंदन, अक्षत, फूल, धतूरा, बिल्वपत्र, जनेऊ, कलावा, दीपक, कपूर, अगरबत्ती और फल होना चाहिए।
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