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इस बार भाद्रपद माह की अमावस्या तिथि को शनिश्चरी अमावस्या (Shani Amavasya) है.
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। इस बार भाद्रपद माह की अमावस्या तिथि को शनिश्चरी अमावस्या (Shani Amavasya) है. जिस माह की अमावस्या तिथि को शनिवार दिन होता है, उस दिन शनिश्चरी अमावस्या होती है. शनिश्चरी अमावस्या को शनि अमावस्या भी कहते हैं क्योंकि शनिवार का दिन शनि देव से जुड़ा हुआ है. अमावस्या के दिन पवित्र नदियों में स्नान करने और दान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है और पाप मिटते हैं. इस दिन पितरों के लिए पूजन भी किया जाता है. शनिश्चरी अमावस्या के अवसर पर आप स्नान दान के साथ शनि देव की कृपा प्राप्त कर सकते हैं. इस दिन कुछ उपायों से साढ़ेसाती, ढैय्या और शनि दोष से राहत पा सकते हैं. श्री कल्लाजी वैदिक विश्वविद्यालय के ज्योतिष विभागाध्यक्ष डॉ मृत्युञ्जय तिवारी से जानते हैं शनिश्चरी अमावस्या की तिथि और उपायों के बारे में.
शनिश्चरी अमावस्या तिथि 2022
भाद्रपद अमावस्या तिथि का प्रारंभ: 26 अगस्त, शुक्रवार, दोपहर 12 बजकर 23 मिनट से
भाद्रपद अमावस्या तिथि का समापन: 27 अगस्त, शनिवार, दोपहर 01 बजकर 46 मिनट पर
उदयातिथि को देखते हुए शनिश्चरी अमावस्या 27 अगस्त को है. शनिश्चरी अमावस्या के दिन शिव योग बना है. इस दिन सुबह से लेकर 28 अगस्त को 02:07 एएम तक यह योग रहेगा.
शनिश्चरी अमावस्या के उपाय
1. शनिश्चरी अमावस्या के दिन स्नान आदि से निवृत होकर आप शनि देव की आराधना करें. उनका सरसों के तेल से अभिषेक करें. फिर उनको काला तिल, धूप, दीप, गंध आदि अर्पित करें. ऐसा करने से वे प्रसन्न होंगे और आपके कष्ट दूर करेंगे.
2. यदि आप साढ़ेसाती, ढैय्या और शनि दोष से पीड़ित हैं तो शनिश्चरी अमावस्या को पूजा के समय शनि रक्षा स्तोत्र का पाठ करें. इसकी रचना अयोध्या के राजा दशरथ ने किया था. इस पाठ से शनि देव प्रसन्न होते हैं और भक्तों की रक्षा करते हैं.
3. सभी देवी और देवताओं को प्रसन्न करने के लिए उनके चालीसा लिखे गए हैं. शनिश्चरी अमावस्या के दिन स्नान के बाद आप शनि मंदिर में जाकर शनि देव के दर्शन और पूजा करें. वहां शनि चालीसा का पाठ करें. आपकी दुख दूर होंगे.
यह भी पढ़ें: कब है भाद्रपद अमावस्या? जानें तिथि, मुहूर्त, योग और महत्व
4. शनिश्चरी अमावस्या को शनि मंदिर में पूजा करें. उसके बाद गरीब और जरूरतमंद लोगों को काली उड़द, लोहा, स्टील के बर्तन, शनि चालीसा और काला मिल दान करें. आप पर शनि देव की कृपा होगी, साथ ही साढ़ेसाती और ढैय्या के कष्ट दूर होंगे.
5. शनि अमावस्या को शनि देव की पूजा के बाद काले कौआ को भोजन दें. ऐसा करने से आपके पितर भी प्रसन्न होंगे और शनि से जुड़े कष्ट भी कम होंगे.
6. शनि अमावस्या को पीपल की जड़ में जल अर्पित करें और सरसों के तेल का दीपक जलाएं. इससे लाभ होता है. पितर भी तृप्त होते हैं.
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