धर्म-अध्यात्म

जाने कब है मासिक कृष्ण जन्माष्टमी, इस मुहूर्त में करे पूजा- अर्चना

Sanjna Verma
27 May 2024 12:31 PM GMT
जाने कब है मासिक कृष्ण जन्माष्टमी, इस मुहूर्त  में करे पूजा- अर्चना
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ज्येष्ठ मासिक कृष्ण जन्माष्टमी भगवान श्री कृष्ण के जन्म का पावन पर्व है, जो ज्येष्ठ मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को हर साल बड़े ही उत्साह से मनाया जाता है. मासिक कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व 30 मई को पड़ रहा है. इस दिन भक्त भगवान श्री कृष्ण की पूजा करते हैं, व्रत रखते हैं, और भजन-कीर्तन करते हैं. ऐसी मान्यता है कि ज्येष्ठ मासिक कृष्ण जन्माष्टमी के दिन व्रत रखने और भगवान श्री कृष्ण की पूजा करने से लोगों के पापों का नाश होता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है. ज्येष्ठ मासिक कृष्ण जन्माष्टमी के दिन भगवान श्री कृष्ण की पूजा करने से लोगों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं और लोगों के बिगड़े हुए काम भी बनने लगते हैं. पंचांग के अनुसार, ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि 30 मई 2024 को सुबह 11.43 बजे शुरू होगी और अगले दिन यानी 31 मई 2024 को सुबह 9.03 बजे समाप्त होगी. 30 मई को मासिक कृष्ण जन्माष्टमी मनाई जाएगी.


मासिक कृष्ण जन्माष्टमी पूजा विधि
मासिक कृष्ण जन्माष्टमी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और फिर सूर्य देव को जल चढ़ाएं.
इसके बाद मंदिर को साफ करें और गंगा जल छिड़ककर पवित्र करें.
अब एक चौकी पर साफ कपड़ा बिछाकर भगवान श्री कृष्ण और श्री राधा रानी की मूर्ति विराजित करें.
फिर दीपक जलाकर आरती करें और भगवान के मंत्रों का जाप करें.
भगवान श्री कृष्ण की जन्म कथा का पाठ अवश्य करें.
भगवान को मिश्री, मक्खन और फल का भोग लगाएं. भोग में तुलसी दल जरूर शामिल करें.
अंत में गरीबों को अन्न-धन का दान करें.

इन मंत्रों का करें जाप
श्रीकृष्ण के शक्तिशाली मंत्र
कृं कृष्णाय नमः
ॐ देविकानन्दनाय विधमहे वासुदेवाय धीमहि तन्नो कृष्ण: प्रचोदयात
ओम क्लीम कृष्णाय नमः
गोकुल नाथाय नमः
मासिक कृष्ण जन्माष्टमी का महत्व
मासिक कृष्ण जन्माष्टमी के मौके पर भगवान कृष्ण की पूजा का अपना अलग महत्व है. उनकी पूजा के दौरान हमेशा माखन का भोग लगाया जाता है. कृष्ण भगवान को माखन बहुत प्रिय है. इसका भोग लगाने से भगवान कृष्ण को प्रसन्न कर सकते हैं. यूं तो हर दिन उनकी पूजा करना शुभ होता है. हालांकि, मासिक कृष्ण जन्माष्टमी पर पूजा अर्चना करने से कृष्ण जी की कृपा बनी रहती है और जीवन में आने वाले कष्टों से छुटकारा मिलता है. इसके अलावा घर में कोई विपत्ति नहीं और सुख-समृद्धि बनी रहती है.


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