धर्म-अध्यात्म

जानिए कब है मिथुन संक्रांति

Tara Tandi
14 Jun 2022 11:34 AM GMT
Know when is Mithun Sankranti
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जब सूर्य मिथुन राशि में प्रवेश करते हैं तो इस दिन को मकर संक्रांति के रूप में मनाया जाता है.

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। जब सूर्य मिथुन राशि में प्रवेश करते हैं तो इस दिन को मकर संक्रांति के रूप में मनाया जाता है. यह दिन विशेष तौर पर भगवान सूर्यदेव को समर्पित है और इस दिन पूरे विधि-विधान के (Mithun Sankranti ke din Silbatte ki Puja) साथ सूयदेव का पूजन किया जाता है. इस बार मकर संक्रांति कल यानि 15 जून 2022 को मनाई जाएगी. बता दें कि साल में कुल 12 संक्रांति होती है और सूर्य का मिथुन राशि में प्रवेश मिथुन संक्रांति कहलाता है. इसी दिन से वर्षा ऋतु की शुरुआत मानी जाती है. मान्यता है कि इस दिन लोग सूर्यदेव की उपासना करते समय अच्छी बारिश की भी मनोकामना करते हैं.

मिथुन संक्रांति का महत्व
हिंदू धर्म में मिथुन संक्रांति का विशेष महत्व है और देश के हर कोने में इसे अलग-अलग नाम से जाना जाता है. मान्यता है कि मिथुन संक्रांति के दिन से बारिश के मौसम की शुरुआत होती है और गर्मी से राहत मिलती है. साथ ही इस दिन अच्छी फसल के लिए भी पूजा की जाती है. मिथुन संक्रांति के दिन भगवान सूर्यदेव का पूजन किया जाता है.
सिलबट्टे की होती है पूजा
यह जानकर आपको आश्चर्य होगा कि मिथुन संक्रांति के दिन सिलबट्टे की भी पूजा की जाती है. लेकिन इसके लिए एक विशेष महत्व छिपा हुआ है. जिस प्रकार महिलाओं को हर महीने मासिक धर्म होता है उसी प्रकार मिथुन संक्रांति और उससे पहले व बाद के दिन को मिलाकर कुल तीन दिन धरती मां को भी मासिक धर्म होते हैं. जिसके बाद चौथे दिन धरती मां स्नान करती हैं. सिलबट्टे का धरती माता का रूप माना गया है और इसलिए तीन दिनों को सिलबट्टे का उपयोग नहीं किया जाता. इसके बाद चौथे दिन सिलबट्टे का जल और दूध से स्नान कराकर इसकी पूजा की जाती है.
दान का भी है महत्व
बता दें कि मिथुन संक्रांति के दिन दान का भी​ विशेष महत्व होता है. इस दिन पूजा के बाद गेहूं, गुड़, घी, अनाज आदि का दान करना चाहिए.
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