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जनता से रिश्ता वेबडेस्क। भाद्रपद माह का प्रारंभ 12 अगस्त से हो रहा है. इस माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी को अजा एकादशी (Aja Ekadashi) के नाम से जानते हैं. इस दिन व्रत रखने और भगवान विष्णु की पूजा करने से सभी पापों का नाश होता है, अश्वमेध यज्ञ कराने के समान ही पुण्य प्राप्त होता है. जो लोग अजा एकादशी के दिन भगवान ऋषिकेश की पूजा करते हैं और व्रत कथा का श्रवण करते हैं, उनको मृत्यु के बाद विष्णु लोक में स्नान प्राप्त होता है. काशी के ज्योतिषाचार्य चक्रपाणि भट्ट से जानते हैं कि अजा एकादशी कब है और व्रत का पारण कब किया जाएगा.
अजा एकादशी व्रत 2022
पंचांग के अनुसार, भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि 22 अगस्त दिन सोमवार को प्रात: 03 बजकर 35 मिनट पर प्रारंभ हो रही है. इस तिथि का समापन अगले दिन 23 अगस्त मंगलवार को प्रात: 05 बजकर 06 मिनट पर हो रहा है. इस दिन सूर्योदय 05 बजकर 54 मिनट पर हो रहा है. ऐसे में उदयातिथि के आधार पर अजा एकादशी व्रत 23 अगस्त को रखा जाएगा.
सिद्धि एवं त्रिपुष्कर योग में अजा एकादशी व्रत
अजा एकादशी व्रत सिद्धि और त्रिपुष्कर योग में है. ये दोनों ही योग पूजा पाठ की दृष्टि से शुभ फलदायी हैं. 23 अगस्त को सिद्धि योग प्रात:काल से लेकर दोपहर 12 बजकर 38 मिनट तक है. वहीं त्रिपुष्कर योग सुबह 10 बजकर 44 मिनट से 24 अगस्त को प्रात: 05 बजकर 55 मिनट तक है.
एकादशी पूजा का समय
23 अगस्त को एकादशी व्रत रखने वाले लोगों को भगवान विष्णु की पूजा सुबह में कर लेना चाहिए क्योंकि उस समय सिद्धि योग और त्रिपुष्कर योग रहेगा. इस दिन राहुकाल 03:38 पीएम से शाम 05 बजकर 15 मिनट तक है.
अजा एकादशी व्रत का पारण समय
जो लोग अजा एकादशी व्रत रखेंगे, वे लोग 24 अगस्त को प्रात: 05 बजकर 55 मिनट से प्रात: 08 बजकर 30 मिनट के मध्य तक पारण करके व्रत को पूरा कर लें. इस दिन द्वादशी तिथि सुबह 08 बजकर 30 मिनट तक ही है.
जो लोग स्वास्थ्य कारणों से एकादशी व्रत नहीं रख सकते हैं, उनको अजा एकादशी व्रत कथा को सुनना या पढ़ना चाहिए. इससे अश्वमेध यज्ञ के बराबर पुण्य प्राप्त होता है.
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