धर्म-अध्यात्म

जानें कब है धूमावती जयंती? रोग और दरिद्रता दूर करने के लिए करें पूजा

Rani Sahu
2 Jun 2022 7:00 PM GMT
जानें कब है धूमावती जयंती? रोग और दरिद्रता दूर करने के लिए करें पूजा
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धूमावती जयंती हर वर्ष ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाई जाती है

धूमावती जयंती हर वर्ष ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाई जाती है. इस साल धूमावती जयंती 08 जून दिन बुधवार को है. मां धूमावती भगवान शिव द्वारा प्रकट ​की गई 10 महाविद्याओं में से एक हैं. यह सातवीं महाविद्या हैं और ज्येष्ठा नक्षत्र में निवास करती हैं. मां धूमावती को अलक्ष्मी भी कहते हैं. यह मां पार्वती का सबसे डरावना स्वरूप है. दरिद्रता और रोगों को दूर करने के लिए मां धूमावती की पूजा की जाती है. तिरुपति के ज्योतिषाचार्य डॉ. कृष्ण कुमार भार्गव से जानते हैं धूमावती जयंती (Dhumavati Jayanti) की सही तिथि, पूजा मुहूर्त और मां धूमावती के प्रकट होने की संक्षिप्त कथा के बारे में

धूमावती जयंती 2022 तिथि
पंचांग के अनुसार, ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि की शुरूआत 07 जून दिन मंगलवार को सुबह 07 बजकर 54 मिनट पर हो रहा है. यह तिथि 08 जून बुधवार को सुबह 08 बजकर 30 मिनट तक मान्य रहेगी. उदयाति​थि के आधार पर 08 जून को धूमावती जयंती मनाई जाएगी.
धूमावती जयंती 2022 पूजा मुहूर्त
08 जून को प्रात:काल से ही ​सिद्धि योग लग रहा है, जो अगले दिन 09 जून को प्रात: 03 बजकर 27 मिनट तक रहेगा. इसके अलावा सर्वार्थ सिद्धि योग और रवि योग भी है. सर्वार्थ सिद्धि योग 09 जून की सुबह 04 बजकर 31 मिनट से सुबह 05 बजकर 23 मिनट तक है.
इस दिन रवि योग सुबह 05 बजकर 23 मिनट से दोपहर 12 बजकर 52 मिनट तक रहेगा. फिर 09 जून को प्रात: 04 बजकर 31 मिनट से सुबह 05 बजकर 23 मिनट तक है. धूमावती जयंती के दिन प्रात:काल से सिद्धि और रवि योग रहेंगे, ऐसे में आप चाहें तो सुबह में धूमावती जयंती की पूजा कर सकते हैं.
कौन हैं मां धूमावती
मां धूमावती माता पार्वती की उग्र स्वरूप हैं. यह विधवा, कुरूप, खुली हुई केशोंवाली, दुबली पतली, सफेद साड़ी पहने हुए रथ पर सवार रहती हैं. इनको अलक्ष्मी भी कहते हैं. एक बार माता पार्वती को बहुत तेज भूख लगी. उन्होंने भगवान शिव से भोजन के लिए कहा, तो उन्होंने तत्काल व्यवस्था करने की बात कही. लेकिन काफी समय बीत जाने के बाद भी भोजन नहीं आया.
इधर भूख से व्याकुल माता पार्वती भोजन की प्रतीक्षा कर रही थीं. जब भूख बर्दाश्त नहीं हुई, तो उन्होंने भगवान शिव को ही निगल लिया. ऐसा करते ही उनके शरीर से धुआं निकलने लगा. भगवान शिव उनके उदर से बाहर आ गए और कहा कि तुमने तो अपने पति को ही निगल लिया. अब से तुम विधवा स्वरूप में रहोगी और धूमावती के नाम से प्रसिद्ध होगी.
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