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- जानें कब है अहोई...
अक्टूबर 2022 का तीसरा सप्ताह आज 16 अक्टूबर रविवार से प्रारंभ हो रहा है, जो 22 अक्टूबर शनिवार तक है. इस सप्ताह में अहोई अष्टमी, रमा एकादशी, धनतेरस, शनि प्रदोष जैसे महतवपूर्ण व्रत और त्योहार आने वाले हैं. इस सप्ताह ही सूर्य का राशि परिवर्तन होने वाला है. सूर्य देव तुला राशि में प्रवेश करेंगे, जो सूर्य की तुला संक्रांति होगी. सूर्य का तुला राशि में गोचर करने से कई
17 अक्टूबर: दिनः सोमवार, अहोई अष्टमी व्रत, तुला संक्रांति
अहोई अष्टमी 2022: संतान प्राप्ति, संतान की सुरक्षा, सुखी जीवन और सौभाग्य की प्राप्ति के लिए रखा जाने वाला अहोई अष्टमी व्रत 17 अक्टूबर को है. इस दिन माताएं और सुहागन महिलाएं निर्जला व्रत रखती हैं और अहोई माता की पूजा शाम के समय में करती हैं. इस व्रत का समापन रात में चंद्रमा और तारों को अर्घ्य देने से होता है. अहोई माता को माता पार्वती का स्वरूप माना जाता है.
तुला संक्रांति 2022: सूर्य की तुला संक्रांति 17 अक्टूबर को है. इस दिन सूर्य देव शाम को 07 बजकर 23 मिनट पर तुला राशि में प्रवेश करेंगे. सूर्य तुला राशि में एक माह तक विद्यमान रहेंगे. 17 अक्टूबर को सौर कैलेंडर का नया माह तुला का प्रारंभ होगा.
21 अक्टूबर: दिनः शुक्रवार, रमा एकादशी व्रत
रमा एकादशी व्रत 2022: कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को रमा एकादशी व्रत रखा जाता है. इस व्रत को करने से व्यक्ति के समस्त पाप मिट जाते हैं और उसे मृत्यु के बाद वैकुंठ की प्राप्ति होती है. जो व्यक्ति रमा एकादशी व्रत कथा का पाठ करता है या सुनता है तो भी उसे लाभ होता है. वह भी पापों से मुक्त हो जाता है. मृत्यु के बाद वह मोक्ष का अधिकारी हो जाता है.
22 अक्टूबर: दिनः शनिवार, शनि प्रदोष व्रत, धनतेरस या धन त्रयोदशी, धन्वंतरी जयंती
धनतेरस 2022: इस साल धनतेरस 22 अक्टूबर दिन शनिवार को है. हर साल कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी तिथि को धनतेरस या धन त्रयोदशी मनाई जाती है. इस दिन शाम को माता लक्ष्मी, कुबेर और भगवान धन्वंतरी की पूजा करते हैं. देवताओं के वैद्य धन्वंतरी इस तिथि को ही उत्पन्न हुए थी इसलिए हर साल धनतेरस पर उनकी पूजा की जाती है और धन्वंतरी जयंती मनाई जाती है.
शनि प्रदोष व्रत 2022: इस साल कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष का प्रदोष व्रत 22 अक्टूबर दिन शनिवार को है. शनिवार के कारण यह शनि प्रदोष व्रत है. इस दिन धनतेरस भी है. शनि प्रदोष व्रत रखने और भगवान शिव की पूजा करने से व्यक्ति को पुत्र की प्राप्ति होती है. शिव कृपा से संतानहीन दंपत्तियों को संतान की प्राप्ति होती है.