धर्म-अध्यात्म

Kawad Yatra : कब और कैसे हुई थी कांवड़ यात्रा की शुरुआत जानिए

Kavita2
2 July 2024 8:06 AM GMT
Kawad Yatra : कब और कैसे हुई थी कांवड़ यात्रा की शुरुआत जानिए
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Kawad Yatra कावड़ यात्रा : देवों के महादेव को सावन महीना बेहद प्रिय है। इस माह में भगवान शिव और मां पार्वती की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। साथ ही विधिपूर्वक सोमवार का व्रत भी किया जाता है। धार्मिक मान्यता है कि ऐसा करने से जातक को मनचाहा वर की प्राप्ति होती है। साथ ही महादेव का आशीर्वाद प्राप्त होता है। इसके अलावा सावन में कांवड़ यात्रा का प्रारंभ होता है, जिसमें अधिक संख्या में शिव भक्त शामिल होते हैं। क्‍या आपको पता है कि कांवड़ यात्रा की शुरुआत कैसे हुई? अगर नहीं पता, तो आइए जानते हैं इसके बारे में विस्तार से।
पंचांग के अनुसार, इस बार कांवड़ यात्रा की शुरुआत 22 जुलाई 2024 से होगी। वहीं, इसका समापन 02 अगस्त 2024 यानी सावन शिवरात्रि के दिन होगा।
कांवड़ यात्रा की पहली कथा The first story of Kanwar Yatra
पौराणिक कथा के अनुसार, त्रेता युग में श्रवण कुमार ने कांवड़ यात्रा की शुरुआत की थी। उनके अंधे माता-पिता ने हरिद्वार में गंगा स्नान करने की इच्छा जाहिर की। ऐसे में उनके पुत्र श्रवण कुमार ने माता-पिता को कंधे पर कांवड़ में बैठाकर पैदल यात्रा की और उन्हें गंगा स्नान करवाया। इसके पश्चात वह अपने साथ वहां से गंगाजल लेकर, जिससे उन्होंने भगवन शिव का विधिपूर्वक अभिषेक। धार्मिक मान्यता है कि तभी से कांवड़ यात्रा की शुरुआत हुई।
कांवड़ यात्रा की दूसरी कथा
इसके अलावा कांवड़ यात्रा की शुरुआत का संबंध रावण से भी जोड़ा जाता है। रावण भगवान शिव का परम भक्त था। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, समुद्र मंथन के दौरान निकले विष का पान करने से महादेव का गला जलने लगा, तो ऐसी स्थिति में देवी देवताओं ने प्रभु का जलाभिषेक किया। इस दौरान शिव जी ने अपने परम भक्त रावण का स्मरण किया, तो ऐसे में लंकापति रावण ने कांवड़ से जल लेकर महादेव का अभिषेक किया, जिससे प्रभु को विष के असर से मुक्ति मिली। ऐसा माना जाता है कि तभी से कांवड़ यात्रा की शुरुआत हुई।
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