धर्म-अध्यात्म

जाने क्या है मकर संक्रांति की पूजा विधि

Tulsi Rao
10 Jan 2023 10:14 AM GMT
जाने क्या है मकर संक्रांति की पूजा विधि
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जनता से रिश्ता वेबडेस्क | Makar Sankranti 2023 : इस साल दिनांक 15 जनवरी 2023 दिन रविवार को मनाई जाएगी. ज्योतिष शास्त्र में सूर्य जब मकर राशि में प्रवेश करते हैं, तब मकर संक्रांति मनाई जाती है. इस मकर संक्रांति में सूर्य का शनि के साथ मिलन होने से ये त्योहार और भी खास बन गया है. शनि मकर राशि में प्रवेश करेंगे. इस दिन स्नान और दान का बेहद खास महत्व है. इस दिन खिचड़ी खाने का भी विशेष महत्व है. तो आइए आज हम आपको अपने इस लेख में बताएंगे कि मकर संक्रांति के दिन खिचड़ी खाने का क्या महत्व है, पूजा विधि क्या है, खिचड़ी की परंपरा शुरु कैसे हुई.

मकर संक्रांति की क्या है पूजा विधि

इस दिन सूर्य देवता के साथ-साथ भगवान विष्णु की विशेष पूजा की जाती है.यह व्रत भगवान सूर्य नारायण को समर्पित है. इस दिन सूर्य देव को तांबे के कलश में जल,गुड़, काला तिल, फूल डालकर अर्घ्य दें. इस दिन गुड़, तिल और खिचड़ी जरूर काना चाहिए और गरीबों को दान भी करना चाहिए.

मकर संक्रांति के दिन खिचड़ी खाने का महत्व क्या है

खिचड़ी का संबंध नवग्रहों से है. खिचड़ी में इस्तेमाल चावल का संबंध चंद्रमा से है. खिचड़ी में डाली जाने वाली उड़द दाल का संबंध शनिदेव से है. हल्दी का संबंध गुरु देव से है. इसके अलावा हरी सब्जी का संबंध बुध देव से माना गाया है.वहीं खिचड़ी और घी का संबंध सूर्य देव से माना गया है. इस दिन खिचड़ी खाने के साथ-साथ जरूरतमंदों को दान भी करना चाहिए, उन्हें घर में बुलाकर खिलाना चाहिए. उसके बाद आप उन्हें कच्चा चावल, दाल, हरी सब्जियां, नमक, हल्दी का दान भी अवश्य करना चाहिए. इससे आरोग्य में वृद्धि होती है.

खिचड़ी की परंपरा शुरु कैसे हुई?

मान्यताओं के अनुसार, खिलजी से युद्ध करने के बाद नाथ योगी बेहद कमजोर होने लग गए थे और भूख के कारण उनकी तबीयत भी बिगड़ने लग गई थी. तब गोरखनाथ ने दाल, चावल और सब्जी को एक साथ पकाकर उन्हें खिलाया. इससे उन्हें तुरंत ऊर्जा मिली और उनकी तबियत में काफी सुधार आया. तभी से खिचड़ी खाने की परंपरा शुरु हो गई.

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