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धर्म-अध्यात्म
जानें क्या है इसके पीछे की कहानी, मनकामेश्वर मंदिर में स्थापित है 12 फीट लंबा शिवलिंग
Manish Sahu
23 July 2023 9:51 AM GMT
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धर्म अध्यात्म: कानपुर में स्थित अखंड मनकामेश्वर महादेव धाम के बारे में कहा जाता है कि खुदाई के दौरान यहां शिवलिंग मिला था.
कानपुर के मनकामेश्वर मंदिर में स्थापित है 12 फीट लंबा शिवलिंग, जानें क्या है इसके पीछे की कहानी?
सावन के महीने में शिव भक्ति को सर्वश्रेष्ठ माना गया है. मान्यता है कि महादेव की सावन में की गई पूजा का बाबा भक्तों को विशेष फल देते हैं. कानपुर में एक ऐसा ही शिव मंदिर है, जहां एक नहीं बल्कि 151 शिवलिंग आपकी मनोकामना पूरी करते हैं. कानपुर के मैनावती मार्ग स्थित अखंड मनकामेश्वर महादेव धाम की खासियत है कि यहां 12 फिट का शिवलिंग भूतल से स्थापित है. इसकी पूजा करने के लिए पहली मंजिल पर जाना पड़ता है.
गंगा नदी के किनारे स्थित इस मंदिर की कानपुर के अलावा आसपास के जिलों में भी खास मान्यता है. यहां के पुजारी की माने तो मनकामेश्वर महादेव मंदिर की स्थापना बलिया के सुरेशानंद महाराज ने की थी. उनके निधन के बाद सेवकों ने गुरु स्थान पर सुरेशानंद महाराज की प्रतिमा स्थापित की जिसकी रोजाना आरती की जाती है.
खुदाई के दौरान मिला शिवलिंग
इस मंदिर के बारे में बताया गया की यहां सौ साल पहले जंगल हुआ करता था. जब जंगल के पेड़ काट कर खेत बना रहे थे. इसी दौरान अचानक मिट्टी के भीतर कुछ बड़े पत्थर से हल टकरा गया. इसके बाद उस जगह की जब खुदाई करी गई तो यहां विशाल शिवलिंग मिला, जिसे ग्रामीणों ने वहीं स्थापित कर दिया और लोग बाबा की पूजा करने लगे भारतवर्ष की टीम को जानकारी देते हुए मंदिर में लगे सेवादारों ने बताया कि मंदिर में जल चढ़ाने पर भोलेनाथ भक्तों के मन की सभी मुरादें पूरी कर देते हैं जिस कारण इस मंदिर का नाम मनकामेश्वर मंदिर रखा गया.
परिसर में हैं 151 शिवलिंग
भक्तों को मंदिर के प्रवेश द्वार में घुसते ही परिसर के चारों तरफ काले और सफेद रंग के 151 शिवलिंग के दर्शन होते हैं. इसके साथ ही मनकामेश्वर महादेव के 12 फीट के विशाल शिवलिंग के दर्शन किए जाते हैं. भक्त महादेव के 151 शिवलिंग के अलग-अलग 151 नामों की पूजा अर्चना कर बाबा को प्रसन्न करते हैं. कानपुर में अपनी अलग पहचान रखने वाले मंदिर में महादेव के अलावा अन्य देवी-देवताओं की भी बड़ी प्रतिमा स्थापित है.
कई देवी-देवताओं की हैं प्रतिमाएं
भक्तों को इस मंदिर में मां गंगा, शेषनाग पर आराम करते भगवान विष्णु, साथ में मां लक्ष्मी और नाभि से निकलते ब्रह्मा जी के भी दर्शन होते हैं. इसके साथ ही माता दुर्गा के नौ स्वरूप, सप्त ऋषि मंडल, देवराज इंद्र, भोलेनाथ, मां अन्नपूर्णा, महर्षि वाल्मीकि, लव-कुश, राम दरबार, हनुमानजी हवन कुंड आदि की भी खास मान्यता है. सोमवार को यहां लाखों भक्तों का तांता लगा रहता है. श्रद्धालु गंगा नदी से गंगाजल लाकर शिवलिंग पर चढ़ाते हैं.
शिवालयों में उमड़ी भक्तों की भारी भीड़
रुद्राभिषेक, हवन की नहीं लगती फीस
इस मंदिर से जुड़ी एक ऐसी भी मान्यता है कि यहां चुनाव में मन्नत मांगने के लिए सांसद, विधायक और प्रधान पद के प्रत्याशी आते हैं. इस कारण यहां राजनीति क्षेत्र से जुड़े लोगों की भी यहां खास भीड़ उमड़ती है. मंदिर के पुजारी ने बताया कि यहां रुद्राभिषेक, हवन या अन्य किसी पूजा की कोई फीस नहीं है .
आप स्वयं की सामग्री लाकर यहां पूजा अर्चना कर सकते हैं और दक्षिणा स्वरूप श्रद्धा से कुछ भी महंत को देकर बाबा के भंडारे में सहयोग कर सकते हैं. मनोकामना पूरी होने के बाद भक्त यहां आकर हवन और भंडारा कराते हैं. 2009 में सुरेशानंद महाराज के निधन के बाद पुजारी राम लखन मंदिर में अपनी सेवाएं दे रहे हैं.
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