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एक नेक राजा का मुख्य कर्तव्य:- The main duty of a noble king
परस्परविरुद्धानां तेषां च समुपार्जनम् । कन्यानां सम्प्रदानं च कुमाराणां च रक्षणम् ॥
अर्थात् राजा को चाहिये कि वह धर्म- अर्थ- काम में कहीं परस्पर विरोध आ पड़ने पर उसे दूर करें , धर्म अर्थ में अभिवृद्धि करें और कन्याओं एवं कुमारों को गुरुकुलों में भेजकर शिक्षा दिलाना , उनकी सुरक्षा तथा विवाह आदि की नियम व्यवस्था करे ।
मनु ने राजा के गुणों एवं कर्तव्यों का विस्तृत विवरण प्रस्तुत किया है। मनु के अनुसार राजा को प्रजा तथा ब्राहमणों के प्रति विशेष रूप से संवेदनशील रहना चाहिए। राजा को अपने इन्द्रियों पर नियन्त्रण रखना चाहिए। उसे काम, क्रोध आदि से मुक्त रहना चाहिए।
"मनुस्मृति" में स्पष्ट किया गया है कि उसे शिकार, जुआ, दिवाशयन, परनिन्दा, परस्त्री प्रेम, मद्यपान, नाच-गाना, चुगलखोरी, ईर्ष्या, परछिद्रान्वेषण, कटुवचन,धन का अपहरण आदि से बचना चाहिए। मनु स्मृति में राजा के लिये मुख्य निर्देश निम्न हैं
1.वह शस्त्र धन, धान्य, सेना, जल आदि से परिपूर्ण पर्वतीय दुर्ग में हर प्रकार से सुरक्षित निवास करे ताकि वह शत्रुओं से बच सके। He should live in a safe place so that he can escape from enemies.
2.राजा स्वजातीय और सर्वगुण सम्पन्न स्त्री से विवाह करे।
3. राजा समय-समय पर यज्ञ का आयोजन करे और ब्राह्मणों को दान करे।
4. प्रजा से कर वसूली ईमानदार एवं योग्य कर्मचारियों के द्वारा किया जाना चाहिए। प्रजा के साथ राजा का संबंध पिता-पुत्र की तरह होना चाहिए।
5. राजा को युद्ध के लिये तैयार रहना चाहिए। युद्ध में मृत्यु से उसे स्वर्ग की प्राप्ति होगी।
6. विभिन्न राजकीय कार्यों के लिये विभिन्न अधिकारियों की नियुक्ति की जाय।
7. राजा को विस्तारवादी नीति को अपनाना चाहिए। Ja should adopt an expansionist policy.
8. अपने सैन्य बल एवं बहादुरी का सदैव प्रदर्शन करना चाहिए।
9. गोपनीय बातों का गोपनीय बनाकर रखना चाहिए। शत्रुओं की योजनाओं को समझने के लिये मजबूत गुप्तचर व्यवस्था रखनी चाहिए।
10. अपने मंत्रियों को सदैव विश्वास में रखना चाहिए।
11. राजा सदैव सर्तक रहे। अविश्वसनीय पर बिल्कुल विश्वास न करे और विश्वसनीय पर पैनी निगाह रखे।
12. राजा को राज्य की रक्षा तथा शत्रु के विनाश के लिये तत्पर रहना चाहिए। One must be prepared.
13. राजा को अपने कर्मचारियों, अधिकारियों के आचरण की जांच करते रहना चाहिए। गलत पाने पर उनको पदच्युत कर देना चाहिए।
14. राजा को मृदुभाषी होना चाहिए। .The king should be soft-spoken.
मनु ने राजा की दिनचर्या का भी वर्णन किया है। उनने सम्पूर्ण दिन को तीन भागों में बांटकर प्रत्येक के लिये अलग-अलग कार्य निर्धारित किये हैं। राजा को स्नान एवं ध्यान के बाद ही न्याय का कार्य करना चाहिए। राजकार्यों के संबंध में अपने मंत्रियों के साथ तथा विदेश मामलों में अपने गुप्तचरों एवं राजदूतों के साथ परामर्श नियमित रूप से करना चाहिए। "मनुस्मृति" में राजा के गतिशील जीवन की चर्चा की गई है। इसमें राजा को सदैव सजग और सावधान रहने की आशा की जाती है।
युद्ध एवं संकट के समय राजा के कार्य Functions of the king during war and crisis
मनुस्मृति में युद्ध के समय राजा के कर्तव्यों पर प्रकाश डाला गया है। इसमें स्पष्ट किया गया है कि युद्ध के समय राजा को भयभीत नहीं होना चाहिए और पूरी तैयारी और मनोबल के साथ शत्रु का संहार करना चाहिए। यह राजा का धर्म है कि वह शत्रु का संहार कर मातृभूमि की रक्षा करें।
"मनुस्मृति" में स्पष्ट किया गया है कि शांति के समय प्रजा के धान्य का छठा-आठवां भाग प्राप्त करे परन्तु युद्ध के समय वह चौथा भाग भी प्राप्त कर सकता है। आपातकाल में राजा द्वारा अतिरिक्त कर लेना कोई पाप नहीं है।
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Usha dhiwar
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