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हिंदू धर्म में सोमवार का दिन भगवान शिव को समर्पित किया गया है
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। हिंदू धर्म में सोमवार (Monday) का दिन भगवान शिव को समर्पित किया गया है. भगवान शिव (Lord Shiva) के बड़ी संख्या में भक्त हैं. देवों के देव महादेव, भोलेनाथ (Bholenath), भगवान शिव जिन्हें हम कई नामों से पुकारते हैं. उनकी श्रद्धा भाव से पूजा अर्चना करते हैं. सोमवार के दिन भगवान शिव की विधि विधान से पूजा (Puja) करने से भोलेनाथ अपने भक्तों की हर मनोकामना पूरी करते हैं. बहुत से लोग ऐसे हैं जिन्हें ये नहीं पता कि भगवान शिव और शंकर दोनों अलग-अलग हैं, वे उन्हें एक ही मानते हैं. जबकि ऐसा बिल्कुल नहीं है शिव और शंकर दोनों ही अलग हैं. आज की इस कड़ी में हम जानेंगे कि दोनों में क्या अंतर है.
कई लोग शिव और शंकर को एक ही सत्ता के दो नाम मानते हैं. परन्तु तस्वीरों में दोनों की आकृति अलग-अलग है. कई जगह तस्वीरों में शंकर को शिवलिंग का ध्यान करते हुए चित्रित किया गया है. भगवान शिव का नाम भगवान शंकर के साथ जोड़ा जाता है. इसलिए हम लोग शिव, शंकर, भोलेनाथ कह कर उन्हें पुकारते हैं. भगवान शंकर को ऊंचे पर्वत पर तपस्या में लीन बताया जाता है. जबकि भगवान शिव ज्योति बिंदु के स्वरूप हैं. जिनकी पूजा ज्योतिर्लिंग के रूप में की जाती है.
पुराणों में भगवान शिव के 3 प्रमुख कर्तव्य बताए गए हैं – सत युगी दुनिया की स्थापना करना, दैवीय दुनिया की पालना करना और पतित दुनिया का विनाश करना, यह तीनों कर्तव्य भगवान शिव तीन प्रमुख देवताओं ब्रह्मा, विष्णु और शंकर (महेश) के द्वारा करवाते हैं. इसीलिए भगवान शिव को त्रिमूर्ति भी कहा जाता है. भगवान शिव जन्म मरण के चक्र या बंधन से मुक्त हैं. जबकि शंकर साकारी देवता हैं. भगवान शंकर को आदिदेव महादेव भी कहा जाता है. भगवान शिव, शंकर में प्रवेश करके महान से महान कार्य करवाते हैं.
ऐसे कार्य जिन्हें कोई देवी देवता, साधु संत, महात्मा नहीं कर सकते, इसके अलावा भगवान शिव सत्य ज्ञान देकर सत्ता चरण की धारणाओं को भगवान ब्रह्मा द्वारा पृथ्वी पर स्थापित करते हैं. भगवान शिव एक निराकार ज्योति बिंदू स्वरूप हैं जबकि शंकर साकार हैं.
Kajal Dubey
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