धर्म-अध्यात्म

जानिए क्या है मान्यता, भगवान मंगलनाथ मंदिर में होती है मंगल ग्रह की विशेष पूजा

Manish Sahu
24 July 2023 6:29 PM GMT
जानिए क्या है मान्यता, भगवान मंगलनाथ मंदिर में होती है मंगल ग्रह की विशेष पूजा
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धर्म अध्यात्म: कुंडली मे यदि मंगल दोष है, घर की सुख शांति खत्म हो गई है और व्यापार-व्यवसाय के साथ ही शादी-ब्याह में भी कई अड़चनें आ रही हैं तो धार्मिक नगरी उज्जैन में एक ऐसा दिव्य स्थान है, जहां पर भगवान मंगल शिवलिंग के रूप मे स्थापित हैं. जिनका पूजन-अर्चन विधि-विधान के साथ करने से वह अमंगल को भी मंगल में बदलकर सभी कष्टों का निवारण कर देते हैं. यही कारण है कि इस मंदिर में मंगल दोष की निवृत्ति के लिए न सिर्फ देशभर से बल्कि विदेशों से भी बड़ी संख्या में श्रद्धालुजन पूजन-अर्चन के लिए पहुंचते हैं.
धार्मिक नगरी उज्जैन में शिप्रा नदी के किनारे भगवान मंगलनाथ का अति प्राचीन मंदिर है. उज्जैन को पुराणों में मंगल ग्रह की जननी कहा जाता है. इसीलिए ऐसी मान्यता है कि ऐसे व्यक्ति जिनकी कुंडली में मंगल दोष होता है, यदि वे अपने अनिष्ट ग्रहों की शांति के लिए मंगलनाथ मंदिर में पूजन-पाठ करवाने आते हैं तो उनके सर्व संकट दूर हो जाते हैं. मंदिर के पुजारी पंडित दीप्तेश गुरु ने जानकारी देते हुए बताया कि यह मंदिर अत्यंत दिव्य और चमत्कारी मंदिर है, जो कि कर्क रेखा पर स्थित होने के साथ ही देश के नाभि स्थल पर है.
मंदिर में भगवान मंगलनाथ शिव की प्रतिमा के रूप में लिंग स्वरूप में विराजमान है. पुजारी पंडित दीप्तेश गुरु ने बताया कि भगवान शिव और पृथ्वी के पुत्र भगवान मंगल देव हैं, जिनकी यदि पूर्ण विधि-विधान से पूजन की जाती है तो वह कुंडली के सभी अनिष्ट ग्रहों के प्रभाव को समाप्त कर देते हैं. पुजारी ने बताया कि भगवान मंगल को शीतलता प्रदान करने के लिए मंदिर में भात पूजन भी किया जाता है, जिससे कि भगवान मंगलनाथ प्रसन्न होकर सभी भक्तों को अपना आशीष प्रदान करते हैं.
मेष और वृश्चिक राशि के स्वामी हैं मंगल ग्रह
ऐसा माना जाता है कि भगवान मंगल मेष और वृश्चिक राशि के स्वामी हैं. इसीलिए जिस भी जातक की पत्रिका में मंगल ग्रह से संबंधित कोई दोष होता है, वह विश्व के एक मात्र मंगल ग्रह की उत्पत्ति वाले इस मंदिर पर पहुंचकर भगवान मंगलनाथ का पूजन-अर्चन करते हैं और उनसे कामना करते हैं कि वे अपने प्रकोप को शांत कर अपना आशीष बनाए रखें.
वैशाख मास मे होता है विशेष पूजन-अर्चन
मंदिर के पुजारी पंडित दीप्तेश गुरु ने बताया कि वैसे तो मंदिर में सभी त्योहार धूमधाम से मनाए जाते हैं, लेकिन मास में सबसे उत्तम मास यानी कि वैशाख मास भगवान मंगलनाथ का सबसे प्रिय मास माना जाता है. यही कारण है कि इस मास में भगवान मंगलनाथ का विशेष पूजन अर्चन होता है. देश ही नहीं विदेशों से भी बड़ी संख्या में श्रद्धालु भगवान मंगलनाथ का पूजन अर्चन करने पहुंचते हैं. वैशाख मास के प्रत्येक मंगलवार को भगवान का विशेष पूजन-अर्चन के साथ ही भगवान मंगलनाथ सबका वर्ष भर मंगल करें, ऐसी कामना के साथ उनका पूजन अर्चन किया जाता है.
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