धर्म-अध्यात्म

हरछठ व्रत में क्या खाया जाता है, जानें

Tara Tandi
17 Aug 2022 7:02 AM GMT
हरछठ व्रत में क्या खाया जाता है, जानें
x
हरछठ व्रत भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि को मनाया जाता है।

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। हरछठ व्रत भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि को मनाया जाता है। इसे हलषष्ठी या ललई छठ भी कहा जाता है। इस साल हरछठ व्रत 17 अगस्त, बुधवार को है। यह पर्व भगवान श्रीकृष्ण के बड़े भाई बलराज जी के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है।

हलछठ शुभ मुहूर्त 2022-
षष्ठी तिथि प्रारम्भ - अगस्त 16, 2022 को 08:17 पी एम बजे
षष्ठी तिथि समाप्त - अगस्त 17, 2022 को 08:24 पी एम बजे
हरछठ व्रत का महत्व व पूजा विधि
हरछठ व्रत में क्या खाया जाता है?
हरछठ व्रत में हल द्वारा बोया-जोता हुआ अन्न या कोई फल नहीं खाया जाता है। गाय के दूध-दही के सेवन की भी मनाही होती है। सिर्फ भैंस के दूध-दही या घी स्त्रियां काम में लाती हैं।
हलछठ व्रत कथा-
पौराणिक कथा के अनुसार, एक ग्वालिन गर्भवती थी। उसका प्रसव काल नजदीक था, लेकिन दूध-दही खराब न हो जाए, इसलिए वह उसको बेचने चल दी। कुछ दूर पहुंचने पर ही उसे प्रसव पीड़ा हुई और उसने झरबेरी की ओट में एक बच्चे को जन्म दिया। उस दिन हल षष्ठी थी। थोड़ी देर विश्राम करने के बाद वह बच्चे को वहीं छोड़ दूध-दही बेचने चली गई। गाय-भैंस के मिश्रित दूध को केवल भैंस का दूध बताकर उसने गांव वालों ठग लिया। इससे व्रत करने वालों का व्रत भंग हो गया। इस पाप के कारण झरबेरी के नीचे स्थित पड़े उसके बच्चे को किसान का हल लग गया। दुखी किसान ने झरबेरी के कांटों से ही बच्चे के चिरे हुए पेट में टांके लगाए और चला गया।
ग्वालिन लौटी तो बच्चे की ऐसी दशा देख कर उसे अपना पाप याद आ गया। उसने तत्काल प्रायश्चित किया और गांव में घूम कर अपनी ठगी की बात और उसके कारण खुद को मिली सजा के बारे में सबको बताया। उसके सच बोलने पर सभी गांव की महिलाओं ने उसे क्षमा किया और आशीर्वाद दिया। इस प्रकार ग्वालिन जब लौट कर खेत के पास आई तो उसने देखा कि उसका मृत पुत्र तो खेल रहा था।
Next Story