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Ramadan 2023 : इस्लाम में रमजान का महीने सबसे पवित्र माना जाता है. इस माह में लोग सभी तरह की बुराइयों से दूर रहते हैं. इस माह में रोजा रखी जाती है और इबादत की जाती है. ऐसा कहा जाता है, जो व्यक्ति अल्लाह से अपनी नजदीकियां रखता है, उसे अल्लाह बरकतें देते हैं. सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त तक रोजा रखा जाता है. तो ऐसे में आइए आज हम आपको अपने इस लेख में रमजान के पवित्र महीने के बारे में विस्तार से बताएंगे, आखिर क्यों रमजान माह सबसे पवित्र माना जाता है, रमजान की 3 अशरें क्या है, रमजान में सहरी और इफ्तार का क्या महत्व होता है.
इस बार रमजान का पवित्र महीना दिनांक 23 मार्च से शुरु होने वाला है और दिनांक 24 मार्च से रोजा रखा जाता है. रमजान का चांद देखने के अगले दिन से रोजा शुरू हो जाता है.
आखिर क्यों पवित्र माना जाता है ये महीना
ऐसी मान्यता है कि इस माह में खुदा से मोहम्मद साहब को कुरान की आयतें मिली थीं. तभी से कैलेंडर के हिसाब से नौवे माह रमजान को पवित्र माना जाता है. इसमें करीब 30 दिन तक रोजा रखा जाता है और आखिरी दिन ईद-उल-फितर मनाते हैं. रमजान महाने के 30 दिन 3 अशरे यानि कि हिस्से बांटे हुए हैं. जो अशरे रहमत, बरकत, मगफिरत है.
जानें क्या है रमजान की 3 अशरें
रमजान के पहले 10 दिन रहमत होते हैं. पहला अशरा, जिसमें खुदा की इबादत, नमाज और दान करने का महत्व है.
दूसरा अशरा 10 दिन का ही होता है, अगर इसमें आपसे कोई भी गलतियां हुई है, तो इसमें मांफी मांगी जाती है.
रमजान का आखिरी 10 दिन तीसरा अशरा होता है, इसमें लोग खुदा से सभी पापों की मुक्ति के लिए दुआ करते हैं और मृत्यु के बाद उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है.
रमजान में सहरी और इफ्तार का महत्व
रमजान महीने में रोजा रखने वाले लोग सूरज निकलने से पहले भोजन में फल खाते हैं, जिसे सहरी कहा जाता है. सहरी करने के बाद पूरे दिन कुछ खाया या पानी भी नहीं पिया जाता है. संध्या के समय नमाज पढ़ी जाती है. जिससे अल्लाह नेक बंदों पर अपनी रहमत और बरकत प्रदान करते हैं.