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जानिए इस विशेष मंदिर बारे में, यहां प्रसाद में मिलते हैं सोने-चांदी के सिक्के
जनता से रिश्ता वेबडेस्क| देवी लक्ष्मी के इस मंदिर होती है धन की वर्षा- हमारे देश में कई ऐसे मंदिर हैं जिनकी मान्यतांए काफी अलग-अलग हैं। ऐसा ही एक अनोखा मंदिर मध्य प्रदेश में स्थित है। जहां प्रसाद के रूप में लड्डू-पेड़ों की बजाए प्रसाद में सोने-चांदी के सिक्के मिलते हैं। तो आइए हैरान कर देने वाले इस विशेष मंदिर के बारे में सबकुछ विस्तार से जानते हैं …
केवल धनतेरस पर खुलता है ये विशेष मंदिर
हम जिस मंदिर की बात कर रहे हैं वह मध्य प्रदेश के रतलाम के माणक में स्थित है। इस मंदिर का नाम महालक्ष्मी मंदिर है। इसके कपाट केवल धनतेरस के ही दिन खुलते हैं। इस मंदिर में श्रद्धालु केवल महालक्ष्मी ही नहीं बल्कि कुबेर महाराज की पूजा करने के लिए भी आते हैं। धनतेरस के दिन ब्रह्म मुहूर्त में खुलने वाले इस मंदिर के कपाट भाई-दूज के दिन बंद कर दिए जाते हैं।
कहते हैं धन हो जाता है दोगुना
धनतेरस के दिन विधि-विधान से मां महालक्ष्मी की पूजा की जाती है। रतलाम ही नहीं आसपास के लोगों की भी मान्यता है कि महालक्ष्मी मंदिर में श्रृंगार के लिए लाए गए आभूषण और धन से घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है और वर्ष भर में धन दोगुना हो जाता है। महालक्ष्मी मंदिर की सजावट धनतेरस के आठ दिन पहले से ही प्रारंभ कर दी जाती है। इस दौरान लोग यहां सोने एवं चांदी के सिक्के भी भारी मात्रा में लेकर पहुंचते है।
नोटों की गड्डियों से सजता है मां यह दरबार
मां महालक्ष्मी मंदिर में श्रद्धालु सोने-चांदी के आभूषण तथा नोटों की गडि्डयां लेकर पहुंचते है। इनकी एंट्री मंदिर ट्रस्ट द्वारा करके टोकन दिया जाता है। इसके बाद सभी आभूषण और नोटों की गडि्डयां मंदिर में विराजित महालक्ष्मी देवी को समर्पित कर दिए जाते हैं। बाद में सभी टोकन के जरिए ही श्रद्धालुओं को वापस कर दिए जाते हैं। बता दें कि धनतेरस के पहले मंदिर को पूरी तरह सोने और चांदी के आभूषणों और नोटों की गड्डियों से सजाया जाता है।
कई बरसों से चली आ रही है यह परंपरा
मां लक्ष्मी के इस मंदिर में सोने-चांदी और नोटों की गड्डियां चढ़ाने की यह परंपरा सदियों से चली आ रही है। यहां आने वाले श्रद्धालु, माता के चरणों में जो भी आभूषण और नकदी अर्पित करते हैं। बाद उसे भक्तों को प्रसाद के रूप में वितरित कर दिया जाता है। इसके अलावा श्रद्धालुओं को श्रीयंत्र, सिक्के, कौड़ियां और अक्षत कुमकुम लगी कुबेर पोटली भी प्रसाद के रूप में दी जाती है।
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ऐसा है मां महालक्ष्मी मंदिर का इतिहास
महालक्ष्मी मंदिर के इतिहास को लेकर काफी मान्यताएं हैं। कथा मिलती है रतलाम शहर पर राज्य करने वाले तत्कालीन राजा को महालक्ष्मी माता द्वारा स्वप्न दिया था। इसके बाद से उन्होंने ही यह परंपरा प्रारंभ की थी जो आज तक चल रही है। इस मंदिर की अनूठी पंरपरा के चलते ही यह देश का शायद पहला एवं एक मात्र ऐसा मंदिर है जहां पर धन की देवी लक्ष्मी प्रसाद के रूप में गहने और पैसे प्रदान करती हैं।