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जानिए अमृतसर का यह तीर्थ, जो जुड़ा है रामायण काल के लव-कुश जन्म और अश्वमेध यज्ञ से
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। अश्विन महीने के शुक्लपक्ष की दशमी तिथि पर भगवान राम की जीत का पर्व दशहरा मनाया जाएगा। इस युद्ध का जिक्र महर्षि वाल्मीकि रचित रामायण में मिलता है। मान्यता है कि वाल्मीकि द्वारा 24 हजार छंदों वाली रामायण जिस जगह पर लिखी गई, वह अमृतसर में है। जहां वर्तमान में श्री राम तीरथ मंदिर बना हुआ है।
लव-कुश के जन्म से जुड़ी जगह
श्री राम तीरथ मंदिर भगवान राम को समर्पित है। ऐसी मान्यता है कि यहां महर्षि वाल्मीकि का आश्रम और एक कुटी थी, इसलिए इसे वाल्मीकि तीरथ मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। यहां वाल्मीकि जी की 8 फीट ऊंची गोल्ड प्लेटेड प्रतिमा स्थापित की गई है। मान्यता है कि भगवान राम द्वारा माता सीता का परित्याग करने के बाद वाल्मीकि जी ने सीताजी को इसी जगह पर अपने आश्रम में आश्रय दिया था। यहीं पर लव और कुश का जन्म हुआ था। महर्षि वाल्मीकि ने रामायण की रचना भी यहीं की थी। इसी आश्रम में उन्होंने लव और कुश को शस्त्र चलाने की शिक्षा भी दी थी।
सरोवर की परिक्रमा
जब रामजी ने अश्वमेध यज्ञ के लिए घोड़ा छोड़ा था, तब इसी स्थान पर लव-कुश ने उस घोड़े को पकड़ा था और रामजी से युद्ध भी किया था। इस मंदिर के पास ही एक सरोवर है, जिसे बहुत पावन माना जाता है। मान्यता है कि इस सरोवर को हनुमानजी ने खोदकर बनाया था। इस सरोवर की परिधि 3 किमी है। सरोवर में नहाने के बाद भक्त इस सरोवर की परिक्रमा करते हैं। यहां प्राचीन बावड़ी भी है, माना जाता है कि सीता माता यहां स्नान किया करती थीं। इस बावड़ी में स्नान कर महिलाएं संतान पाने की प्रार्थना करती हैं।
लगता है चार दिवसीय मेला मंदिर के पास ही प्राचीन श्री रामचंद्र मंदिर, जगन्नाथपुरी मंदिर, राधा- कृष्ण मंदिर, राम, लक्ष्मण, सीता मंदिर, महर्षि वाल्मीकि जी का धूना, सीताजी की कुटिया, श्री लक्ष्मी नारायण मंदिर, सीता राम-मिलाप मंदिर जैसी खास धार्मिक जगह हैं, जो रामायण की याद दिलाते हैं। लोग इस मंदिर में आकर ईंटों के छोटे-छोटे घर बनाकर मन्नत मांगते हैं कि हमें अपने स्वयं के घर की प्राप्ति हो। कार्तिक महीने की पूर्णिमा के दिन श्री राम तीर्थ मंदिर में चार दिनों के वार्षिक मेले का आयोजन किया जाता है।