धर्म-अध्यात्म

जानिए यह प्रचलित कथा के अनुसार, 'कोई व्यक्ति गुस्से में भला-बुरा कह रहा हो तो हमें उसे सहनशीलता दिखानी चाहिए'

Nilmani Pal
4 Dec 2020 10:04 AM GMT
जानिए यह प्रचलित कथा के अनुसार, कोई व्यक्ति गुस्से में भला-बुरा कह रहा हो तो हमें उसे सहनशीलता दिखानी चाहिए
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एक ही समय पर अगर दो लोग गुस्सा हो जाते हैं तो छोटा सा विवाद भी बड़ा रूप ले लेता है

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। एक ही समय पर अगर दो लोग गुस्सा हो जाते हैं तो छोटा सा विवाद भी बड़ा रूप ले लेता है। ऐसी स्थिति में सहनशीलता एक ऐसा गुण है, जो बड़े-बड़े विवादों को शांत कर सकता है। इस संबंध में गौतम बुद्ध की एक कथा प्रचलित है।

गौतम बुद्ध एक स्थान से दूसरे स्थान पर भ्रमण करते रहते थे। इस दौरान वे लोगों को उपदेश भी देते हैं। ऐसे ही एक दिन वे किसी गांव में उपदेश दे रहे थे। बुद्ध ने कहा कि गुस्सा ऐसी आग है, जिससे क्रोध करने वाला खुद भी जलता है और दूसरों को भी जलाता है। क्रोध नहीं करना चाहिए।
वहां एक ऐसा व्यक्ति भी था, जो बहुत गुस्सा करता था। ये बात सुनते ही अचानक उठा और बोलने लगा कि बुद्ध तुम पाखंडी हो। तुम लोगों को भटका रहे हो। ये बातें आज कोई मायने नहीं रखती हैं। वह व्यक्ति बुद्ध का अपमान कर रहा था। लेकिन, बुद्ध ने कुछ नहीं कहा।
बुद्ध को मौन देखकर वह व्यक्ति और ज्यादा गुस्सा हो गया। काफी देर तक वह बुद्ध को भला-बुरा कहता रहा। जब थक गया तो वहां से चला गया। उसके जाने के बाद बुद्ध ने अपना उपदेश पूरा किया। वहां मौजूद लोग बुद्ध की सहनशीलता से बहुत प्रभावित हुए।
क्रोधी व्यक्ति जब अपने घर पहुंचा तो उसका गुस्सा शांत हुआ। जब उसका मन शांत हुआ तो उसे समझ आया कि उसने कितनी बड़ी गलती कर दी है। वह तुरंत ही बुद्ध से माफी मांगने पहुंचा। लेकिन, बुद्ध वहां से आगे बढ़ चुके थे।
वह व्यक्ति बुद्ध को खोजते हुए दूसरे गांव में पहुंच गया। वहां बुद्ध को देखकर उनके चरणों में गिर पड़ा और अपने किए गलत व्यवहार के लिए माफी मांगने लगा।
बुद्ध ने उस व्यक्ति से पूछा, 'तुम कौन हो और क्षमा क्यों मांग रहे हो?'
व्यक्ति ने कहा, 'क्या आप भूल गए? मैंने कल आपके साथ बुरा व्यवहार किया था। आपका अपमान किया था।'
बुद्ध ने कहा, 'बीता हुआ कल मैं वहीं छोड़ आया हूं और तुम अभी भी वहीं रुके हुए हो। तुम्हें गलती पर पछतावा है, तुमने पश्चाताप कर लिया। अब तुम निष्पाप हो गए हो। बुरी बातें याद करते रहने से हमारा आज बर्बाद हो जाता है। इसीलिए बीते हुए समय की बातों को भूलाकर आगे बढ़ना चाहिए।'
कथा की सीख
इस कथा की सीख यह है कि अगर कोई व्यक्ति गुस्से में है और भला-बुरा कह रहा है तो उस समय में हमें सहनशीलता का परिचय देना चाहिए। अगर हम भी उसी समय क्रोधित हो गए तो बात बहुट बढ़ सकती है।


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