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- जानिये कावंड़ यात्रा...
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सावन का पावन महीना पूरी तरह से भगवान शिव जी की पूजा के लिए समर्पित होता हैं। वहीं श्रावण मास का शिवभक्त पूरे वर्ष बड़ी ही बेसब्री से इंतजार करते हैं। क्योंकि इसी पावन मास की जाती है कांवड़ यात्रा। सावन के पवित्र महीने में की जाने वाली यह कठिन तीर्थ यात्रा किसी तप और साधना से कम नहीं होती है। हिंदू मान्यता के मुताबिक जो व्यक्ति विधि-विधान से कांवड़ यात्रा करता है। उस पर भगवान भोलेनाथ की असीम कृपा बरसती है और महादेव उसकी समस्त मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं। अगर आप भी इस वर्ष शिव भक्ति में रमने वाले श्रावण मास में कांवड़ यात्रा करने जा रहे हैं तो आपको इससे जुड़े धार्मिक एवं कुछ बेहद महत्वपूर्ण नियम जरूर मालूम होने चाहिए।
कब से शुरू होगी कांवड़ यात्रा
हिंदू सनातन परंपरा में भगवान शिव के लिए श्रावण मास में पवित्र गंगाजल को लाने और उसे भगवान शिव को चढ़ाने के लिए जो यात्रा की जाती है। उस पावंड और पवित्र यात्रा को कांवड़ यात्रा कहते हैं। भगवान शिव की कृपा बरसाने वाली यह कांवड़ यात्रा इस वर्ष 4 जुलाई 2023 से शुरू होगी और 15 जुलाई 2023 तक चलेगी। भगवान शंकर को जल 15 और 16 जुलाई 2023 मतलब दो दिन चढ़ाया जा सकेगा। इन दोनों ही दिन शिव भक्त शुभ मुहूर्त में भोलेनाथ को जल अर्पित कर सकेंगे।
कितनी प्रकार की होती है कांवड़ यात्रा
कांवड़ यात्रा पर जाने से पूर्व कांवडि़या अपनी यात्रा का साधन निर्धारित करता है। मसलन, कुछ लोग इस पवित्र यात्रा को नंगे पैर चलकर, कुछ दौड़ते हुए और कुछ लोग गाड़ी अर्थात वाहन के माध्यम से पूरी करते हैं। भगवान शंकर की साधना से संबंधित इस यात्रा को लोग अपनी-अपनी श्रद्धा और अपने सामर्थ्य को मद्देनजर रखकर करते है। पिछले कुछ वर्षों में कांवड़ यात्रा में अनेकों तरह के परिवर्तन देखने को मिलते हैं। मौजूदा समय में हर शिव भक्त अपनी कांवड़ को भव्य और आकर्षक बनाकर अपनी इस यात्रा को पूरा करना चाहता है। मौजूदा समय में तीन तरह की कांवड़ – खड़ी कांवड़, डाक कांवड़ और झांकी वाली कांवड़ ज्यादा ट्रेंड में है।
कावंड़ यात्रा से जुड़े ये जरुरी नियम
यदि आप कांवड़ यात्रा पर पहली बार निकल रहे हैं तो सर्व प्रथम ये जान लीजिए कि यह पावन यात्रा हमेशा पवित्र तन और मन के साथ करनी चाहिए।
कांवड़ यात्रा के बीच कावड़िए को भूलकर भी किसी भी प्रकार नशा या मांसाहारी चीजों का सेवन नहीं करना चाहिए।
कांवड़ यात्रा के समय गंगाजल से भरी कांवड़ को भूलकर भी भूमि पर नहीं रखना चाहिए और एक बार जब विश्राम के बाद दोबारा अपनी कांवड़ यात्रा प्रारंभ करें तो उससे पहले स्नान जरूर करें।
कांवड़ यात्रा के समय कावड़िए को भूलकर भी किसी के साथ लड़ाई झगड़ा नहीं करना चाहिए।
कांवड़ यात्रा के समय कावड़िए को अपने मन में निरंतर भगवान शंकर के मंत्र का जाप करते रहना चाहिए।
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