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हज… एक ऐसी यात्रा जिसे पूरा करना हर मुसलमान के लिए बेहद सबाब का काम माना जाता है
जनता से रिश्ता वेबडेस्क| हज… एक ऐसी यात्रा जिसे पूरा करना हर मुसलमान के लिए बेहद सबाब का काम माना जाता है. धार्मिक पहलुओं के हिसाब से देखा जाए तो हर मुसलमान के लिए इस यात्रा का बहुत महत्व है, यही वजह है हर साल सऊदी अरब जाने के लिए लाखों लोग आवेदन करते हैं, लेकिन कुछ ही खुशनसीब हज यात्रा पर जा पाते हैं. इस साल हज पर जाने की खुशनसीबी सउदी अरब के बाहर के लोगों को नसीब नहीं होगी.
आपको बताते चलें कि इस साल हज यात्रा की शुरुआत जुलाई के महीने से होगी, लेकिन इस बार इस यात्रा में विदेशी श्रद्धालुओं को अनुमति नहीं दी गई है. यानी सिर्फ सउदी अरब के लोग ही हज यात्रा पर जा सकेंगे. भारत जैसे देशों के लोगों को हज पर जाने की परमिशन नहीं दी गई है, वजह है कोरोना वायरस महामारी. साथ ही महामारी के देखते हुए इस बार हज यात्रा जाने वाले लोगों के लिए कई नियम भी तय किए गए हैं.
हज यात्रा को लेकर आ रही खबरों के बीच चलिए हम आपको बताते हैं इसे पूरा करने के क्या नियम हैं और किस तरह से हज पर जाया जा सकता है. साथ ही आपको हज यात्रा से जुड़ी खास बताते हैं, जिसके बारे में आप शायद ही जानते होंगे… आपको देते हैं हज यात्रा से जुड़े हर एक सवाल.
हज पर कैसे जाते हैं?
हज पर जाने के लिए आपको सबसे पहले आवेदन देना होता है और उसके बाद कुछ लोगों को हज जाने के लिए लकी ड्रॉ के द्वारा सलेक्ट किया जाता है. जिन लोगों का नंबर आता है, वो हज पर जा सकते हैं और जिन लोगों का नंबर नहीं आता है, उन्हें अगली बार फॉर्म भरना होता है. नंबर आने के बाद आपको 25 फीसदी फीस के साथ अपने दस्तावेज जमा करने होते हैं और फिर आगे की प्रक्रिया होती है, जिसमें टिकट का इंतजाम, वीजा आदि शामिल हैं. ये सारी प्रक्रिया हज कमेटी के जरिए पूरी की जाती है.
क्या कोई दूसरे धर्म का व्यक्ति जा सकता है?
कई मुस्लिम जानकारों के अनुसार हज पर जाने के लिए सबसे ईमान शर्त है कि उस शख्स को मुस्लिम होना आवश्यक है.
हज जाने के लिए कोई फीक्स टाइम होता है?
जी हां, हज पर जाने का एक तय वक्त होता है और उस वक्त ही हज यात्रा मानी जाती है. इस्लामिक कलेंडर के 12वें महीने की 8वीं से 12वीं तरीख के बीच होती है. यानी जब भी बकरीद आती है, उसके पहले जो कुछ दिन होते हैं, तब हज यात्रा होती है. बकरीद के दिन यह पूरी होती है और बकरीद के बाद लोग अपने अपने घर आना शुरू कर देते हैं.
पूरी यात्रा में कितना टाइम लगता है और कितना खर्चा हो जाता है?
वैसे तो पूरी हज यात्रा में 40 दिन लगते हैं इस दौरान कई परंपराओं को पूरा किया जाता है. इस यात्रा के दौरान 10 दिन मदीने में रहना होता है और फिर मक्का जाते हैं और उसके बाद कुछ अलग-अलग जगह पर जाते हैं. लेकिन, जो लोग सिर्फ हज के लिए जाते हैं तो 8,9,10 तारीख को होने वाली मुख्य हज यात्रा में हिस्सा लेते हैं. अगर खर्चे की बात करें तो इसमें करीब साढ़े तीन लाख रुपये का खर्चा होता है और जो लोग प्राइवेट व्यवस्था से जाते हैं, उनके 5 लाख रुपये तक खर्च हो जाते हैं.
उमराह और हज में क्या अंतर है?
उमराह कभी भी कर सकते हैं और हज एक फीक्स पर टाइम होता है (बकराईद से कुछ दिन पहले). उमराह में कम परंपराएं होती हैं, जबकि हज में थोड़ी ज्यादा होती हैं.
हज जाने के लिए कोई नियम है?
वैसे तो हज जाने के लिए कोई खास नियम नहीं होता है, हर उम्र का व्यक्ति हज के लिए जा सकता है. लेकिन, हज पर जाने को लेकर एक शर्त होती है. वो शख्स हज पर नहीं जा सकता है, जिस पर कर्ज हो. साथ ही वो कर्ज के पैसे से हज नहीं जा सकता है और ना ही उसके पास हराम का पैसा नहीं होना चाहिए. अगर किसी पर कर्ज है तो उसे अपना कर्ज चुकाना होगा और कोई उससे नाराज़ है तो उससे माफी मांगनी होगी तभी वो हज पर जा सकता है.
महिलाओं के लिए क्या नियम है?
हज जाने के लिए महिलाओं के लिए कोई अलग से नियम है. बस पर्दे का हुकूम है, यानी महिलाओं को पूरे शरीर को ढककर रखना होता है. कपड़े सफेद रंग के होते हैं. यह एक तरह से दो कपड़े के टुकड़े होते हैं, जिन्हें शरीर पर लपेट जाता है. हज पर आदमी और औरत दोनो ही सफेद रंग के लिबास में होते हैं.
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Tara Tandi
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