धर्म-अध्यात्म

जानिए वट सावित्री व्रत की पूजा विधि

Apurva Srivastav
17 May 2023 4:40 PM GMT
जानिए वट सावित्री व्रत की पूजा विधि
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सनातन धर्म में वट सावित्री व्रत (Vat Savitri Vrat 2023) का विशेष महत्व माना गया है. यह व्रत पति की लंबी उम्र के लिए रखा जाता है. आपको बता दें कि ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को वट सावित्री का व्रत (Vat Savitri Vrat 2023) धारण किया जाता है. आपको बता दें कि आगामी 19 मई को जेठ अमावस्या के दिन बट सावित्री व्रत (Vat Savitri Vrat 2023) पड़ रहा है. वट सावित्री व्रत (Vat Savitri Puja Vidhi) के दौरान विधि विधान से पूजा पाठ करने से जीवन के सभी कष्ट दूर होते हैं और जीवन में खुशहाली आती है. ऐसे में आपको वट सावित्री व्रत की पूजा विधि का ज्ञान होना बहुत जरूरी है.
वट सावित्री पूजा विधि ( Vat Savitri Puja Vidhi)
वट सावित्री के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करने के बाद नए वस्त्र धारण करने के साथ साथ पूरा सोलह श्रृंगार कर के तैयार हो जाएं. इसके बाद पूजा की सभी सामग्रियों को किसी थाली में सजाकर वट वृक्ष यानी बरगद के पेड़ के पास पहुंच जाएं. गौरतलब है कि वट सावित्री व्रत की पूजा बरगद के पेड़ के पास ही की जाती है. जो महिलाएं पहली बार वट सावित्री व्रत (Vat Savitri Vrat Puja Vidhi) रख रहीं है उन्हे कपड़े से बना दुल्हादुल्हन का जोड़ रखकर ही पूजा करना चाहिए. कपड़े का जोड़ा उपलब्ध न हो, तो मिट्टी से बनी दुल्हा दूल्हन का इस्तेमाल भी किया जा सकता है.
पूजा की शुरुआत करते हुए सबसे पहले बरगद के पेड़ के नीचे सावित्री और सत्यवान की तस्वीर स्थापित करनी चाहिए और रोली, भीगे चने, अक्षत, कलावा, फूल, फल सुपारी, पान, मिष्ठान और बाकी चीजें अर्पित करनी चाहिए. इसके बाद बांस के पंखे से हवा करनी चाहिए. तत्पश्चात सुहागिन महिलाओं को वट वृक्ष की परिक्रमा करनी चाहिए. इसके लिए कच्चा धागा लेकर वृक्ष के 5 से 7 बार परिक्रमा कर सकते हैं. फिर वहीं, वृक्ष के नीचे बैठकर सावित्री सत्यवान की कथा अवश्य सुननी चाहिए, फिर अपने पति की लंबी आयु के लिए भगवान से प्रार्थना करनी चाहिए. इसके बाद चने के प्रसाद को लोगों में बांट देना चाहिए.
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