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हर महीने दो पक्ष होते हैं शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष जो 15-15 दिनों का होता है. कृष्ण पक्ष के पंद्रवे दिन अमावस्या पड़ता है और चैत्र अमावस्या 21 मार्च 2023 को पड़ेगी. ऐसा माना जाता है कि चैत्र अमावस्या पर अतृप्त आत्माएं अधिक सक्रिय हो जाती हैं और इधर-उधर विचरती हैं. ऐसे में अमावस्या के दिन कुछ ऐसे काम नहीं करने चाहिए जिससे उन्हें कष्ट पहुंचे या वो विचलित हो. चैत्र अमावस्या की पूजा करना आसाना है लेकिन इसके लिए पूरी एकाग्रता चाहिए होती है. चलिए आपको बताते हैं चैत्र अमावस्या की पूजा विधि और इस दिन का महत्व
कब है चैत्र अमावस्या? (Chaitra Amavasya 2023)
21 मार्च दिन मंगलवार को चैत्र अमावस्या है. 21 मार्च को अमावस्या सुबह 1.47 बजे से रात 10.53 बजे तक रहेगी. अमावस्या तिथि के स्वामी पितृ देव माने जाते हैं. ऐसी मान्यता है कि अमावस्या के दिन स्नान और दान करने का विशेष महत्व है जो सीधे आपके पूर्वजों की आत्मा की शांति प्रदान करती है. चैत्र अमावस्या को भूतड़ी अमावस्या भी कहते हैं. मान्यता है कि इस दिन नकारात्मक शक्तियां सक्रिय हो जाती हैं और उनका प्रभाव जीवन पर तेजी से पड़ता है.
चैत्र अमावस्या के दिन शुभ और सर्वार्थ सिद्धि योग बना है. शुभ योग में दान और पितरों के निमित्त कार्य बिना बाधा के पूरे हो सकते हैं. वहीं सर्वार्थ सिद्धि योग अपने नाम स्वरूप हर काम को सफल बनाने का काम करता है. हिंदू धर्म में वैसे तो सभी अमावस्या का महत्व खास होता है जिसमें सोमवती अमावस्या, भौमवती अमावस्या शनिश्चरी अमावस्या लेकिन चैत्र अमावस्या दान, धर्म और आत्मा की तृप्ती के लिए विशेष माना जाता है. इस दिन आपको अपने पूर्वजों के नाम पर ज्यादा से ज्यादा दान करना चाहिए.
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Apurva Srivastav
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