धर्म-अध्यात्म

जानिए देव दिवाली की पूजा विधि और महत्व

Tara Tandi
3 Nov 2022 10:44 AM GMT
जानिए देव दिवाली की पूजा विधि और महत्व
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जनता से रिश्ता वेबडेस्क। देव दिवाली का अर्थ है देवताओं की दीपावाली. यह त्योहार कार्तिक पूर्णिमा के शुभ दिन पर मनाया जाता है. इस दिन को राक्षस त्रिपुरासुर पर भगवान शिव की जीत के रूप में मनाया जाता है. पौराणिक कथाओं के अनुसार कार्तिक पूर्णिमा के दिन भगवान शिव ने त्रिपुरासुर नामक राक्षस का वध किया था. इसी दिन भगवान विष्णु ने शिवजी को त्रिपुरारी नाम दिया था.

हर साल दीपावली के 15 दिनों के बाद देव दिवाली का पर्व मनाया जाता है. मान्यता है कि त्रिपुरासुर के वध की खुशी में सभी देवता स्वर्ग से उतरते हैं और काशी में दिवाली मनाते हैं. कार्तिक पूर्णिमा को त्रिपुरारी पूर्णिमा या त्रिपुरी पूर्णिमा भी कहा जाता है. इस दिन भगवान शिव को दूध और शहद से स्नान कराया जाता है.
हिंदू पंचांग के अनुसार, इस साल इदेव दीपावली पर चंद्र ग्रहण भी पड़ रहा है. ऐसे में देव दिवाली की तिथि को लेकर थोड़ा सा असमंजस है. कार्तिक पूर्णिमा 2022 सोमवार, 7 नवंबर को शाम 4:15 बजे शुरू होगी और अगले दिन यानी 8 नवंबर को शाम 4:31 बजे समाप्त होगी. इस बार 7 नवंबर को देव दिवाली मनाई जाएगी.
दीपदान का महत्व
कार्तिक पूर्णिमा के दिन पवित्र नदियों में स्नान को सबसे पवित्र माना जाता है. इस दिन दीपदान करने को शुभ माना जाता है. मान्यता है कि जो व्यक्ति इस दिन दीपदान करता है उसे शत्रु का भय कभी नहीं सताता और सुख-सौभाग्य में वृद्धि होती है.
देव दिवाली पूजा विधि
- सुबह जल्दी उठकर गंगा नदी में स्नान करें.
- भगवान शिव समेत सभी देवताओं की पूजा करें.
- शाम के समय किसी नदी के किनारे दीपदान करें.
- भगवान शिव की विधिवत तरीके से पूजा करें.

न्यूज़, क्रेडिट: zee-hindustan

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