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मंत्र सिद्धि में सबसे पहले मन्त्रों के उच्चारण पर ध्यान दिया जाता है।
कोई मंत्र कैसे सिद्ध होता है, मंत्र सिद्ध होने के बाद क्या होता है क्या अधिक जाप करने से मंत्र जल्दी सिद्ध होगा, जैसे बहुत से प्रश्न आपके मन में होंगे। आइये जानते है इसके बारे में
मंत्र जप के प्रकार
जप करने के तीन प्रकार होते हैं, उपाशु जप, मानस जप और वाचिक जप, वाचिक जप में मंत्रों का उच्चारण ऊँचे स्वर में और स्पष्ट आवाज में किया जाता है। एकदम धीमे स्वर में जप करने को उपाशु जप कहते हैं, इसमें होंठ हिलते हैं लेकिन आवाज किसी अन्य व्यक्ति को सुनाई नहीं देती है। मानस जप में मानसिक रूप से उच्चारण किया जाता हैं।
मंत्र नियम
मंत्र सिद्धि में सबसे पहले मन्त्रों के उच्चारण पर ध्यान दिया जाता है। फिर जिस मंत्र का जप करना है उसका अर्ध्य लेना चाहिए। मंत्र को गुप्त रखें, नियम के अनुसार ही जप करें यदि मंत्र का जप रोज करना है तो निश्चित समय पर ही मंत्र जप करें।
नियंत्रित और शांत मन से करें जप
यदि जप करते समय आपके मन में कई बातें चल रही हैं तो मंत्र सिद्धि असंभव है। जप करते समय यदि आपका मन मंत्र के अधीन हो जाये तो आपका मंत्र सिद्ध हो गया है। नियमित अभ्यास से मंत्र जप के दौरान कुछ समय बाद मन खुद ही नियंत्रित हो जाता है।
मंत्र जप का स्थान
जिस भी स्थान पर मंत्र जप के लिए जाएं तो उस स्थान के रक्षक देव से प्रार्थना करें 'मै इस स्थान पर रहूंगा मुझे इसकी आज्ञा दें और इस अवधि में जो भी संकट, उपद्रव, भय और बाधा मेरे ऊपर आएं उन्हें दूर करिये'। मंत्र जप के लिए किसी एकांत स्थान का चुनाव करना चाहिए जहां किसी का आगमन ना हो ।
मंत्र जप की अवस्था
मंत्र जप शुद्ध अवस्था में करना चाहिए, मंत्र सिद्धि के लिए पद्मासन में बैठें, अगर दाहिने हाथ से मंत्र जप करना है तो बाएं हाथ को अपनी गोद में रखें, सात्विक भोजन करें।
जप करने से पहले रक्षा मंत्र
मंत्र जप शुरू करने से पहले रक्षा मंत्र से खुद को सुरक्षित करें जिससे जप की अवधि में किसी प्रकार की विघ्न, बाधा ना होने पाए। रक्षा मंत्र की सहायता के बिना कोई भी जीव, जंतु आपको भयभीत कर सकता है, सांप, बिच्छू आपके जप को भंग कर सकते हैं। इन सब परेशानियों से रक्षा मंत्र आपकी रक्षा करता है। जप अधूरा छोड़ने से आप मानसिक अशांति का शिकार हो सकते हैं।
मंत्र सिद्ध होने पर क्या होता है
मंत्रों के द्वारा हम बुरे विचारो और भावनाओं को अपने दिमाग से दूर करते हैं, अच्छे विचारों को अपने मस्तिष्क में स्थान देते हैं। इससे जीवन में आने वाली सभी बाधाएं दूर होती हैं और अच्छी घटनाएं होती हैं। जीवन में आशावादी ऊर्जा का संचार होता है आत्मविश्वास में वृद्धि होती है।
अन्य सावधानियां
- वस्त्र जिस रंग के बताये गए हैं उस रंग के ही पहनें।
- मंत्रों का स्पष्ट उच्चारण करें।
- आसन, जप माला वस्त्रो के रंग के हो या फिर जिस रंग के बताये गए हैं उस रंग के होने चाहिए।
- लोभ-लालच या दूसरों का बुरा करने के लिए जप ना करें।
- अनुभवी साधक की सलाह पर ही मंत्र सिद्ध करें अन्यथा विपरीत परिणाम हो सकते हैं।
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Apurva Srivastav
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