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वैशाख मास की पहली चतुर्थी 9 अप्रैल के दिन पड़ी है जिसे विकट संकष्टी चतुर्थी कहते हैं. इस दिन भगवान गणेश की पूजा होती है जो चतुर्थी के दिन अधिक महत्वपूर्ण है. महीने में दो पक्ष होते हैं जिसमें कृष्ण और शुक्ल पक्ष होते हैं. इन दोनों में एक-एक गणेश चतुर्थी होती जिनका अलग-अलग महत्व होता है. वैशाख मास की चतुर्थी पर रखे जाने वाले व्रत को ही विकट संकष्टी चतुर्थी कहते हैं. 9 अप्रैल दिन रविवार को विकट संकष्टी चतुर्थी की पूजा की जाएगी. इस दिन व्रत कथा जरूर पढ़नी चाहिए जिसके बारे में चलिए बताते हैं
क्या है विकट संकष्टी चतुर्थी व्रत कथा? (Vikat Sankashti Chaturthi Katha in Hindi)
पौराणिक कथा के अनुसार, एक समय की बात है जब सभी देवी-देवता पर संकट आया. जब वे खुद से उस संकट का समाधान नहीं ढूंढ पाए तो भगवान शंकर के पास मदद के लिए गए. महादेव ने गणेश जी और कार्तिकेय जी से संकट का समाधान देने को कहा तो भाईयों ने कहा कि वे आसानी से इसका समाधान दे सकते हैं लेकिन जो महादेव ने कहा कि जो पृथ्वी का चक्कर लगाकर पहले मेरे पास आएगा उसी को समाधान करने का मौका मिलेगा. कार्तिकेय जी अपने वाहन मोर पर सवार हुए और पृथ्वी की परिक्रमा करने गए. वहीं गणेश जी मूष के लिए मूष की सवारी से पृथ्वी की परिक्रमा करना मुश्किल था इसलिए वो अपनी चतुराई का इस्तेमाल किए.उन्होंने पृथ्वी का चक्कर ना लगाते हुए अपने स्थान पर खड़े होकर माता पार्वती और महादेव की 7 परिक्रमा कर ली. जब महादेव ने इसका कारण पूछा तो गणेश जी ने कहा कि माता-पिता के चरणों में ही पूरा संसार होता है. भगवान शंकर गणेश की इस चतुराई से बहुत खुश हुए और उन्होंने देवताओं के संकट को हरने के लिए भगवान गणेश को चुना. इसी के साथ भगवान शिव ने गणेश जी को आशीर्वाद दिया कि जो भी चतुर्थी के दिन गणेश जी की पूजा करने के बाद चंद्र दर्शन करेगा उसके संकट दूर होंगे और उसे सुख-समृद्धि की प्राप्ति होगी.
विकट संकष्टी चतुर्थी की पूजा विधि (Vikat Sankashti Chaturthi Puja Vidhi)
भगवान गणेश से मनचाहा आशीर्वाद पाने के लिए आपको विकट संकष्टी चतुर्थी की पूजा विधिवत करनी चाहिए. इसके लिए पूजा वाले दिन सुबह उठें, स्नान करें और साफ कपड़े धारण करें. इसके बाद एक चौकी पर लाल रंग के कपड़े को बिछाएं और भगवान गणेश की मूर्ति या तस्वीर रखकर उनका वंदन करें. गंगाजल से उनका अभिषेक करें, फल, फूल, चंदन, रोली, अक्षत, दीप, धूप और दुर्वा गणेश जी की प्रतिमा पर अर्पित करें. इसके बाद गणपति मंत्र, अथर्वशीर्ष का पाठ करें और फिर उनकी आरती करें. गणपति भगवान आपकी सभी इच्छाओं को पूरा करेंगे
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Apurva Srivastav
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