धर्म-अध्यात्म

जानिये मोहिनी एकादशी व्रत की कथा

Apurva Srivastav
22 April 2023 4:46 PM GMT
जानिये मोहिनी एकादशी व्रत की कथा
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हिन्दू धर्म में हर माह में दो एकादशी व्रत रखने के विधान माना जाता है। ऐसे ने आज हम आपको वैशाख माह में शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि के बारे बताने जा रहे है। इस एकादशी को मोहिनी एकादशी के नाम से जाना जाता है। मोहिनी एकादशी का व्रत रखने के साथ ही इस दिन पढे जाने वाली व्रत कथा mohini ekadashi vrat katha) का भी विशेष महत्व बताया जाता है।
Mohini Ekadashi Vrat Katha: मोहिनी एकादशी व्रत कथा
पौराणिक कथाओं के अनुसार मोहिनी एकादशी 2023 (Mohini Ekadashi 2023) व्रत की कथा का उल्लेख महर्षि वशिष्ठ ने प्रभु श्री राम से किया था। मान्यता है की मोहिनी एकादशी सभी पापों से मुक्त करने वाली एक पवित्र तिथि होती है।
मोहिनी एकादशी (mohini ekadashi vrat katha) की यह पावन व्रत कथा इस प्रकार से है-
एक समय में सरस्वती नदी के तट पर भद्रावती नाम की एक नगरी में द्युतिमान नामक चंद्रवंशी राजा राज करता था। वहां धन-धान्य से संपन्न व पुण्यवान धनपाल नामक वैश्य भी रहता है। वह अत्यंत धर्मालु और विष्णु भक्त था। उसने नगर में अनेक भोजनालय, प्याऊ, कुएं, सरोवर, धर्मशाला आदि बनवाए थे। सड़कों पर आम, जामुन, नीम आदि के अनेक वृक्ष भी लगवाए थे। उसके 5 पुत्र थे, जिनका नाम सुमना, सद्बुएद्धि, मेधावी, सुकृति और धृष्टबुद्धि था।
इनमें से पांचवां पुत्र धृष्टबुद्धि महापापी था। वह पित्र आदि को नहीं मानता था। वह वेश्या, दुराचारी मनुष्यों की संगति में रहकर जुआ खेलता और पर-स्त्री के साथ भोग-विलास करता तथा मांस-मदिरा का सेवन करता था। इसी प्रकार अनेक कुकर्मों में वह पिता के धन को नष्ट करता रहता था।
एक बार वह पकड़ा गया तो वैश्य का पुत्र जानकर चेतावनी देकर छोड़ दिया गया। मगर दूसरी बार फिर पकड़ में आ गया। तब राजा की आज्ञा से उसे कारागार में डाल दिया गया और कारागार में उसे अत्यंत दु:ख दिए गए। बाद में राजा ने उसे नगरी से निकल जाने का कहा।
वह नगरी से निकल वन में चला गया। वहां वन्य पशु-पक्षियों को मारकर खाने लगा। कुछ समय पश्चात वह बहेलिया बन गया और धनुष-बाण लेकर पशु-पक्षियों को मार-मारकर खाने लगा। एक दिन भूख-प्यास से तड़पकर वह खाने की तलाश में घूमता हुआ कौडिन्य ऋषि के आश्रम में पहुंच गया। उस समय वैशाख मास था और ऋषि गंगा स्नान कर आ रहे थे। उनके भीगे वस्त्रों के छींटे उस पर पड़ने से उसे भी थोड़ी सद्बुद्धि प्राप्त हुई।
वह कौडिन्य मुनि से हाथ जोड़कर कहने लगा कि हे मुने! मैंने जीवन में बहुत पाप किए हैं। आप इन पापों से छूटने का कोई साधारण बिना धन का उपाय बताइए। उसके दीन वचन सुनकर मुनि ने प्रसन्न होकर कहा कि तुम वैशाख शुक्ल की मोहिनी नामक एकादशी का व्रत करो। इससे समस्त पाप नष्ट हो जाएंगे। मुनि के वचन सुनकर वह अत्यंत प्रसन्न हुआ और उनके द्वारा बताई गई विधि के अनुसार व्रत किया। इस व्रत के प्रभाव से उसके सब पाप नष्ट हो गए और अंत में वह गरुड़ पर बैठकर विष्णुलोक को गया।
अत: इस व्रत से मोह आदि सब नष्ट हो जाते है। संसार में इस व्रत से श्रेष्ठ कोई व्रत नहीं है। इसके माहात्म्य को पढ़ने से अथवा सुनने से एक हजार गौदान का फल प्राप्त होता है।
वैशाख मास में आने वाली यह मोहिनी एकादशी व्रत (mohini ekadashi vrat katha) कथा पढ़ने से दान के बराबर पुण्य की प्राप्ति होती है। इसीलिए मनुष्य को यह व्रत अवश्य रखना चाहिए और इसकी कथा का भी श्रवण करना चाहिए।
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