धर्म-अध्यात्म

जानें देवी-देवताओं के वाहन से जुड़ी खास बातें

Apurva Srivastav
13 Jan 2022 4:32 PM GMT
जानें देवी-देवताओं के वाहन से जुड़ी खास बातें
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सनातन परंपरा में पूजे जाने वाले विभिन्न देवी-देवताओं ने किसी न​ किसी पशु या फिर पक्षी को अपनी सवारी बनाया हुआ है, लेकिन क्या आपको पता है

सनातन परंपरा में पूजे जाने वाले विभिन्न देवी-देवताओं (Deities) ने किसी न​ किसी पशु या फिर पक्षी को अपनी सवारी बनाया हुआ है, लेकिन क्या आपको पता है कि शेर देवी दुर्गा की सवारी कैसे बना? देवी दुर्गा (Goddess Durga) के साथ अन्य देवताओं की सवारी से जुड़ी खास बात जानने के लिए पढ़ें ये लेख.

सनातन परंपरा में प्रत्येक देवी-देवता (Deities) का अपना कोई न कोई वाहन है. विभिन्न प्रकार के पशु-पक्षी वाले इन वाहनों का भी हिंदू देवी-देवताओं (Hindu Deities) की तरह ही काफी धार्मिक महत्व है. इन सभी वाहनों को लेकर एक मान्यता यह है कि एक बार पृथ्वी लोक पर सभी देवी-देवता विचरण के लिए आए और विचरण करते-करते जब थक गए तो उन्हें अपने लिए एक सवारी चुनने का विचार आया. जिसके बाद प्रत्येक देवी-देवता ने अपनी सुविधा के अनुसार किसी न किसी पशु-पक्षी को अपना वाहन बना लिया. लेकिन देवी दुर्गा (Goddess Durga) की सवारी सिंह के वाहन बनने के कहानी कुछ और ही है. आइए जानते हैं कि आखिर शेर मां दुर्गा का वाहन कैसे बना?
तब सिंह बना देवी दुर्गा की सवारी
मान्यता है कि देवी पार्वती बचपन से ही शिव भक्त थी और भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए उन्होने कठिन तप किया. कठिन तप से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें उनका मनचाहा वरदान दिया और ​भगवान शिव के साथ उनका विवाह संपन्न हुआ. कठिन तप के कारण मां पार्वती का रंग सांवला हो गया था, जिसके कारण हास-परिहास में शिव उन्हें काली कहते थे, लेकिन यह बात माता पार्वती को बहुत बुरी लगती थी और एक दिन वह कैलाश पर्वत छोड़कर एक बार फिर तपस्या में मग्न हो गई. कहते हैं कि उसी समय एक ​शेर उनके पास एक भूखा शेर आया, लेकिन उसने माता पार्वती के तपबल को देखकर उन्हें अपना आहार बनाने का ख्याल छोड़ दिया और उनकी तपस्या के खत्म होने का इंतजार करने लगा. लंबे समय बाद भगवान शिव ने माता पार्वती की तपस्या से प्रसन्न होकर उन्हें गौरवर्ण होने का आशीर्वाद दिया तो उसके बाद माता पार्वती की नजर उस शेर पर गई. तब माता पार्वती ने उसके धैर्य को देखते हुए अपना वाहन बनाना स्वीकार किया.
विद्या की देवी मां सरस्वती का वाहन हंस
हिंदू धर्म में मां सरस्वती को विद्या की देवी माना गया है, जिनका वाहन हंस है. हंस में का एक गुण होता है कि पानी मिले दूध में से दूध को पीकर पानी को छोड़ देता है. मां सरस्वती का वाहन हमें गुणों को ग्रहण करने और दुर्गणों से दूर रहने का संदेश देता है.
लक्ष्मी का वाहन हाथी एवं उल्लू
धन की देवी मां लक्ष्मी के दो वाहन हैं. जिसमें से हाथी जो कि बहुत ही बुद्धिमान और सामाजिक प्राणी होता है, वह हमें अपने परिवार के साथ मिलजुल कर रहने का संदेश देता है. वहीं उल्लू जो कि हमेशा सक्रिय क्रियाशील रहता है, वह व्यक्ति को निरंतर अपने कर्म करने को प्रेरित करता है.
मां गंगा का वाहन मगरमच्छ
अमृत रूपी जल प्रदान करते हुए सभी पापों से मुक्त करने वाली मां गंगा का वाहन मगरमच्छ है. जल के भीतर ताकतवर माने जाने वाला मगरमच्छ से हमें इस बात की सीख मिलती है कि हमें अपने स्वार्थ के लिए जलीय जीव का शिकार नहीं करना चाहिए और पारिस्थितिकी तंत्र को बनाए रखने के लिए जल में रहने वाले हर प्राणी की रक्षा करनी चाहिए.
भगवान शिव का वाहन बैल
सनातन परंपरा में औढरदानी भगवान शिव (Lord Shiva)का वाहन बैल यानि नंदी माना गया है, जो कि बहुत शक्तिशाली होने के बावजूद शांत रहते हुए अपना कर्म करता है. जिस तरह भगवान शिव ने काम को भस्म कर उस पर विजय प्राप्त की थी, बिल्कुल उसी तरह उनका वाहन बैल का भी काम पर पूरा नियंत्रण होता है.
श्रीहरि का वाहन गरूड़
पक्षियों का राजा माना जाने वाले गरुण को भगवान विष्णु (Lord Vishnu) के वाहन होने का गौरव प्राप्त है. गरूड़ की खसियत होती है कि वह आकाश में बहुत उंचाई पर होने पर भी पृथ्वी के छोटे जीवों पर अपनी नजर रख सकता हैं. गरुण हमें संदेश होता है कि बहुत उंचाई पर पहुंचने के बाद भी हमें छोटे से छोटे कद वाले व्यक्ति पर नजर बनाए रखनी चाहिए.
गणपति का वाहन चूहा
देवताओं में प्रथम पूजनीय गणेश जी (lord Ganesha) का वाहन चूहा है जो अक्सर हर अच्छी-बुरी चीज को कुतर डालता है. बिल्कुल वेसे जैसे कुतर्क करने वाले अच्छी बातों की कद्र नहीं करते. ऐसे चूहे को श्री गणेश जी ने अपने बुद्धिबल से वाहन बनाकर नियंत्रण में रखते हैं.
(यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं, इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)


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