धर्म-अध्यात्म

जानिए रविवार के दिन सूर्य देव की अराधना का विशेष महत्व और इससे जुड़े नियम, पूजा विधि, महत्व और आरती

Renuka Sahu
15 May 2022 4:34 AM GMT
Know the special importance of worshiping Sun God on Sunday and the rules related to it, worship method, importance and aarti
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फाइल फोटो 

हिंदू धर्म में सूर्य देव प्रमुख देवताओं में से एक हैं. रविवार के दिन सच्चे मन और पूरी श्रद्धा से सूर्य देव की पूजा-अर्चना करने से भक्तों की सभी इच्छाएं पूरी होती हैं.

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। हिंदू धर्म में सूर्य देव प्रमुख देवताओं में से एक हैं. रविवार के दिन सच्चे मन और पूरी श्रद्धा से सूर्य देव की पूजा-अर्चना करने से भक्तों की सभी इच्छाएं पूरी होती हैं. धरती पर सूर्य देव एक ऐसे देवता हैं, जो भक्तों को साक्षात दर्शन देते हैं. ऐसे में मान्यता है कि व्यक्ति नियमित रूप से सूर्य को अर्घ्य देने से व्यक्ति को जीवन में हर कार्य में सफलता मिलती है. धार्मिक मान्यता है कि सप्ताह में सात दिन सूर्य देव को जल अर्पित करने से जितना लाभ होता है, उससे कई गुना ज्यादा लाभ व्यक्ति को रविवार के दिन पूजा करने से मिलता है. अगर आप पहली बार इस दिन व्रत रख रहे हैं, तो व्रत विधि और महत्व के बारे में अच्छे से जान लें.

रविवार व्रत पूजा विधि
रविवार के दिन सूर्य देव की पूजा करने से पहले स्नान करके साफ कपड़े धारण कर लें. इसके बाद सूर्य देव को नमस्कार करें व्रत का संकल्प लें. इसके बाद मंदिर में सूर्य देव की मूर्ति की स्थापना करें. इसके बाद भगवान सूर्य देव को स्नान करवाएं और उन्हें सुगंध, पुष्प अर्पित करें. इसके बाद व्रत कथा का पाठ करें. धूप-दीप के साथ सूर्य देव की आरती करें. इस दिन तांबे के कलश में जल ले लें और उसमें फूल और चावल डाल दें. फिर सूर्य देव के मंत्रों उच्चारण करते हुए सूर्य देव को जल अर्पित करें.
रविवार व्रत पूजा आरती
रविवार के दिन सूर्य देव की पूजा के बाद मंत्र जाप और आरती का विशेष महत्व बताया गया है. रविवार के दिन सूर्य देव की ये आरती अवश्य करें.
ॐ जय सूर्य भगवान, जय हो दिनकर भगवान।
जगत् के नेत्रस्वरूपा, तुम हो त्रिगुण स्वरूपा।
धरत सब ही तव ध्यान, ॐ जय सूर्य भगवान।।
।।ॐ जय सूर्य भगवान...।।
सारथी अरुण हैं प्रभु तुम, श्वेत कमलधारी। तुम चार भुजाधारी।।
अश्व हैं सात तुम्हारे, कोटि किरण पसारे। तुम हो देव महान।।
।।ॐ जय सूर्य भगवान...।।
ऊषाकाल में जब तुम, उदयाचल आते। सब तब दर्शन पाते।।
फैलाते उजियारा, जागता तब जग सारा। करे सब तब गुणगान।।
।।ॐ जय सूर्य भगवान...।।
संध्या में भुवनेश्वर अस्ताचल जाते। गोधन तब घर आते।।
गोधूलि बेला में, हर घर हर आंगन में। हो तव महिमा गान।।
।।ॐ जय सूर्य भगवान...।।
देव-दनुज नर-नारी, ऋषि-मुनिवर भजते। आदित्य हृदय जपते।।
स्तोत्र ये मंगलकारी, इसकी है रचना न्यारी। दे नव जीवनदान।।
।।ॐ जय सूर्य भगवान...।।
तुम हो त्रिकाल रचयिता, तुम जग के आधार। महिमा तब अपरम्पार।।
प्राणों का सिंचन करके भक्तों को अपने देते। बल, बुद्धि और ज्ञान।।
।।ॐ जय सूर्य भगवान...।।
भूचर जलचर खेचर, सबके हों प्राण तुम्हीं। सब जीवों के प्राण तुम्हीं।।
वेद-पुराण बखाने, धर्म सभी तुम्हें माने। तुम ही सर्वशक्तिमान।।
।।ॐ जय सूर्य भगवान...।।
पूजन करतीं दिशाएं, पूजे दश दिक्पाल। तुम भुवनों के प्रतिपाल।।
ऋतुएं तुम्हारी दासी, तुम शाश्वत अविनाशी। शुभकारी अंशुमान।।
।।ॐ जय सूर्य भगवान...।।
ॐ जय सूर्य भगवान, जय हो दिनकर भगवान।
जगत् के नेत्रस्वरूपा, तुम हो त्रिगुण स्वरूपा।स्वरूपा।।
धरत सब ही तव ध्यान, ॐ जय सूर्य भगवान।।
रविवार के व्रत का महत्व
धार्मिक मान्यता है कि जो भक्त रविवार के दिन सूर्य देव की पूजा-अराधना करने से व्यक्ति को निरोगी काया मिलती है. इतना ही नहीं, व्यक्ति की आयु लंबी होती है. और सौभाग्य में वृद्धि होती है. कहते हैं कि नियमित रूप से सूर्य देव की पूजा करने से भक्तों के शारीरिक कष्ट दूर होते हैं और सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. रविवार का व्रत व्यक्ति को मान-सम्मान और बुद्धि में वृद्धि करता है.
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