धर्म-अध्यात्म

जानेें हथेली में पाए वाले चिन्ह और उनके अनेक प्रभाव

Apurva Srivastav
22 March 2021 3:22 PM GMT
जानेें हथेली में पाए वाले चिन्ह और उनके अनेक प्रभाव
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हस्तरेखा विज्ञान मे रेखाओं, पर्वतों, उंगलियों, अंगूठों, नाखूनों आदि के साथ-साथ चिह्नों का भी अपना अलग महत्व है।

हस्तरेखा विज्ञान मे रेखाओं, पर्वतों, उंगलियों, अंगूठों, नाखूनों आदि के साथ-साथ चिह्नों का भी अपना अलग महत्व है। मात्र हस्त-चिह्न देख कर किसी व्यक्ति के व्यक्तित्व, भाग्य या स्वास्थ्य संबंधी अनेक बातें मालूम हो सकती हैं। भ¬ारतीय मत के अनुसार हस्त चिह्नों से स्वभाव और सौभाग्य का पता चलता है। किंतु पाश्चात्य मतानुसार इनसे स्वास्थ्य संबंधी बातें मालूम होती हैं। हथेली में ऐसे चिह्न मुख्यतः आठ होते हैं।

1-त्रिभुज, 2. क्रास, 3. बिंदु, 4 वृत्त, 5. द्वीप, 6. वर्ग, 7. जाल, 8. नक्षत्र।
त्रिभुज: हथेली में किसी स्थान पर तीन तरफ से आकर रेखाएं परस्पर मिलती हों तो त्रिभुज का आकार बनता है। यह त्रिभुज छोटा या बड़ा हो सकता है। ये त्रिभुज अलग-अलग स्थानों पर देखे जा सकते हैं।

यहां अलग-अलग स्थानों पर पाए जाने वाले त्रिभुजों के प्रभाव का उल्लेख किया जा रहा है।
बड़ा त्रिभुज व्यक्ति के विशाल हृदय का परिचायक है।
यदि त्रिभुज का चिह्न स्वास्थ्य रेखा पर हो तो व्यक्ति का स्वास्थ्य उत्तम होता है।
भाग्य रेखा पर त्रिभुज का चिह्न हो तो वह भाग्यहीन तथा असफल होता है।
यदि चंद्र रेखा पर त्रिभुज का चिह्न हो, तो वह कई बार विदेश यात्राएं करता है तथा सफलता प्राप्त करता है।
मस्तिष्क रेखा पर त्रिभुज का चिह्न हो तो व्यक्ति तीव्रबुद्धि तथा उच्च शिक्षा प्राप्त करने वाला होता है।
यदि किसी के शुक्र पर्वत पर त्रिभुज हो तो वह सरल और मधुर स्वभाव, रसिक मिजाज, शान-शौकत से रहने वाला तथा ऊंचे स्तर का व्यक्ति होता है।
संकीर्ण और अस्पष्ट त्रिभुज व्यक्ति की संकीर्ण मनोवृत्ति को स्पष्ट करता है।
यदि हृदय रेखा पर त्रिभुज का चिह्न हो तो व्यक्ति का भाग्योदय बुढ़ापे में होता है।
यदि आयु रेखा पर त्रिभुज का चिह्न दिखाई दे तो व्यक्ति दीर्घायु होता है।
क्रोस: क्रोस चिह्न केवल गुरु पर्वत पर ही शुभ माना गया है। शेष स्थान पर हानिकारक माना गया है।
गुरु क्षेत्र पर क्रोस का चिह्न हो तो व्यक्ति का जीवन सुखमय होता है और वह कार्य सोच-समझ कर करने वाला होता है।
यदि जीवन रेखा पर क्रोस का चिह्न हो तो आयु के उस भाग में वह मृत्यु-तुल्य कष्ट उठाता है।
यदि भाग्य रेखा पर क्रोस हो तो व्यक्ति की उन्नति में बराबर बाधाएं बनी रहती हैं।
यदि हृदय रेखा पर क्रोस हो तो वह हृदयाघात का मरीज होता है तथा बराबर कमजोर बना रहता है।
यदि विवाह रेखा पर क्रोस का चिह्न दिखाई दे तो विवाह या तो नहीं होता या होता है तो उसका गृहस्थ जीवन अत्यंत दुखमय होता है।
संतान रेखा पर क्राॅस का चिह्न संतान के अभाव का सूचक होता है।
यदि मस्तिष्क रेखा पर क्राॅस का चिह्न हो तो वह जीवन भर मानसिक बीमारियों से परेशान रहता है तथा अंत में पागल हो जाता है।
यात्रा रेखा पर यदि क्राॅस का चिह्न दिखाई दे तो यात्रा में उसकी आकस्मिक मृत्यु हो सकती है।
केतु पर्वत पर क्राॅस का चिह्न इस बात का सूचक है कि वह व्यक्ति दुख में बड़ा हुआ है तथा उसकी शिक्षा भली प्रकार से नहीं हो सकी है।
यदि राहु पर्वत पर क्राॅस का चिह्न दिखाई दे तो उसकी युवावस्था दुखमय व्यतीत होती है तथा वह चेचक के रोग से पीड़ित रहता है।
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बिंदु या तिल

हथेली में बिंदुओं का प्रभाव भी महत्वपूर्ण देखा गया है। सफेद बिंदु हमेशा उन्नतिकारक माने जाते हैं। लाल रंग के बिंदु व्यक्ति की बीमारियों के सूचक होते हैं। पीले रंग के बिंदु शरीर में रक्ताल्पता के द्योतक होते हैं। यदि बिंदु काले रंग के हांे तो लक्ष्मीदायक होते हैं।
यदि सूर्य पर्वत पर काला तिल हो तो व्यक्ति प्रतिष्ठित नहीं होता है तथा समाज में निंदनीय कार्य करने को बाध्य होता है।
यदि चंद्र क्षेत्र पर काला तिल हो तो व्यक्ति का विवाह विलंब से होता है। जीवन में उसे एक से अधिक बार जलाघात से भी पीड़ित होना पड़ता है।
यदि यात्रा रेखा पर तिल हो तो यात्रा में ही उस व्यक्ति की मृत्यु होती है।
यदि मध्यमा पर तिल हो तो उसके भाग्य में बराबर बाधा बनी रहती है तथा उन्नति के लिए उसे बराबर भटकना पड़ता है।
यदि तिल हथेली में हो तथा मुट्ठी बंद करने पर मुट्ठी में रहता हो तो व्यक्ति के पास धन की कमी नहीं रहती।
मस्तिष्क रेखा पर काला तिल हो तो सिर पर गंभीर चोट लगती है तथा मस्तिष्क से संबंधित रोग बराबर बने रहते हैं।
केतु क्षेत्र पर काला तिल व्यक्ति के बचपन को दुखमय बनाता है।
जीवन रेखा पर यदि काला तिल हो तो व्यक्ति लंबे समय तक टी. बी. रोग से ग्रस्त रहता है।
वृत्त: हथेली में जो छोटे-छोटे गोल घेरे पाए जाते हैं, उन्हें वृत्त या सूर्य या कन्दुक कहते हैं।
यदि जीवन रेखा पर वृत्त का चिह्न हो तो आंखंे कमजोर होती हैं।
विवाह रेखा पर द्वीप का चिह्न हो तो मृत्युतुल्य संकट का सामना करना पड़ता है।
भाग्य रेखा पर वृत्त का चिह्न व्यक्ति को भाग्यहीन बनाता है। वह जीवन भर गरीब रहता है।
यदि शनि पर्वत पर वृत्त का चिह्न हो तो व्यक्ति को अनायास धन प्राप्त होता है।
बुध पर्वत पर वृत्त का चिह्न व्यक्ति को कारोबार में भारी सफलता प्रदान करता है। ऐसे व्यक्ति का जीवन ऐश्वर्यपूर्ण होता है।
यदि हथेली में गुरु पर्वत पर वृत्त का चिह्न हो तो व्यक्ति प्रभावशाली होता है तथा अपने जीवन में भारी सफलता प्राप्त करता है।
यदि चंद्र पर्वत पर वृत्त का चिह्न हो तो स्वास्थ्य कमजोर रहता है।
द्वीप: हथेली में जिस स्थान पर हो उसे कमजोर करता है।
स्वास्थ्य रेखा पर द्वीप का चिह्न हो, तो कई प्रकार की बीमारियों का सामना करना पड़ता है।
मस्तिष्क रेखा पर द्वीप हो, तो व्यक्ति मानसिक रोगों से पीड़ित रहता है।
शुक्र पर्वत पर द्वीप का चिह्न पारवारिक जीवन में घातक माना गया है। व्यक्ति को जीवन भर निराशा का सामना करना पड़ता है।
हृदय रेखा पर यदि द्वीप का चिह्न हो तो व्यक्ति हृदयाघात से पीड़ित होता है।
चंद्र पर्वत पर द्वीप का चिह्न व्यक्ति के दिमाग को कुंद बना देता है।
वर्ग: चार भुजाओं से घिरे हुए स्थान या क्षेत्र को वर्ग कहते हैं।



यदि सूर्य पर्वत पर वर्ग का चिह्न हो, तो व्यक्ति उच्च सफलता प्राप्त करता रहता है तथा धन, मान, यश, पद, प्रतिष्ठा की दृष्टि से अत्यंत उच्च स्तरीय जीवन व्यतीत करता है।
यदि शनि पर्वत पर वर्ग का चिह्न हो, तो व्यक्ति बार-बार मृत्यु के मुंह से आश्चर्यजनक रूप से बच जाता है।
यदि भाग्य रेखा पर वर्ग का चिह्न हो, तो व्यक्ति का भाग्योदय छोटी अवस्था में ही हो जाता है।
यदि जीवन रेखा पर वर्ग का चिह्न हो, तो व्यक्ति दीर्घायु होता है।
यदि हृदय रेखा पर वर्ग का चिह्न हो, तो उसका गृहस्थ जीवन सुखमय होता है तथा वह हृदय से परोपकारी एवं दयालु होता है।
यात्रा रेखा पर वर्ग का चिह्न हो तो व्यक्ति जीवन में बहुत यात्राएं करता है तथा यात्राओं में विशेष धन प्राप्त करता है।
यदि स्वास्थ्य रेखा पर वर्ग हो तो व्यक्ति का व्यक्तित्व आकर्षक और जीवन भर स्वास्थ्य अनुकूल बना रहता है।
नोट: वर्ग का चिह्न हथेली में कहीं पर भी हो, पूर्णतः शुभ माना जाता है।
यदि मणिबंध रेखा पर जाल का चिह्न हो तो व्यक्ति का पतन होता है।
यदि मंगल पर्वत पर जाल हो तो वह जीवन भर मानसिक दृष्टि से अशांत रहता है।
यदि राहु पर्वत पर जाल का चिह्न हो तो व्यक्ति दुर्भाग्यपूर्ण जीवन व्यतीत करने के लिए बाध्य होता है।
यदि केतु पर्वत पर जाल हो तो वह जीवन भर बीमारियों से ग्रस्त रहता है।
यदि शनि पर्वत पर जाल का निशान हो तो व्यक्ति आलसी होता है। तथा उसके जीवन में दरिद्रता बनी रहती है।
यदि गुरु क्षेत्र पर जाल का चिह्न हो तो व्यक्ति क्रूर, निर्दयी, स्वार्थी तथा घमंडी होता है।
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नक्षत्र या तारा: हथेली में सूक्ष्मतापूर्वक देखने से तारे या नक्षत्र दिखाई देते हैं।
तर्जनी पर नक्षत्र का चिह्न सभी प्रकार से शुभ माना गया है।
यदि मंगल रेखा पर नक्षत्र का चिह्न हो, तो व्यक्ति की हत्या होती है।
यदि सूर्य रेखा पर नक्षत्र का चिह्न हो, तो व्यक्ति को व्यापार में सफलता मिलती है।
यदि राहु पर्वत पर नक्षत्र का चिह्न हो, तो भाग्य हमेशा साथ देता है तथा जीवन में पूर्ण यश और सम्मान मिलता है।
यदि शनि पर्वत पर नक्षत्र या तारे का चिह्न हो तो व्यक्ति का भाग्योदय शीघ्र ही होता है। वह अपने लक्ष्य की ओर अग्रसर रहता है तथा उसे मान-सम्मान मिलता है।
यात्रा रेखा पर नक्षत्र का चिह्न होने से व्यक्ति की मृत्यु घर से दूर तीर्थ स्थान पर होती है।
यदि अंगूठे पर नक्षत्र का चिह्न हो तो व्यक्ति परिश्रमी, सहनशील तथा सफल व्यक्तित्व का धनी होता है।


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