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जनता से रिश्ता बेवङेस्क | माघ महीने की शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को जया एकादशी के नाम से जाना जाता है. इस बार जया एकादशी 23 फरवरी, मंगलवार को मनाई जाएगी. हिंदू धर्म में एकादशी के व्रत का विशेष महत्व बताया गया है. भगवान श्रीकृष्ण ने महाभारत काल में युधिष्ठिर अर्जुन को एकादशी व्रत के महत्व के बारे में बताया था. श्रीकृष्ण के कहने पर ही युधिष्ठिर ने एकादशी व्रत किया था. पद्म पुराण में वर्णित कथा के अनुसार, धर्मराज युधिष्ठिर भगवान श्रीकृष्ण से पूछते हैं कि माघ शुक्ल की एकादशी का महात्म्य क्या है. इस पर श्रीकृष्ण कहते हैं कि जया एकादशी के दिन व्रत करने से भूत-प्रेत जैसी योनियों से मुक्ति मिलती है. इस दिन भगवान श्रीहरि का विधि-विधान से पूजन करना चाहिए. बताया जाता है कि एकादशी व्रत करने से सभी प्रकार के दुखों से मुक्ति मिलती है सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. एक महीने में दो एकादशी पड़ती है. इन्हें अलग-अलग नामों से जानते हैं. सभी एकादशी का खास महत्व है. अभी माघ का महीना चल रहा है इस महीने के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को जया एकादशी कहा जाता है. हिंदू धर्म के अनुसार, हर साल 24 एकादशी व्रत होते हैं मलमास या अधिकमास में इसकी संख्या 26 हो जाती है.
किसकी पूजा की जाती है जया एकादशी पर
भगवान विष्णु को समर्पित जया एकादशी व्रत के दिन विधि पूर्वक पूजा-अर्चना की जाती है. कहा जाता है कि जया एकादशी के दिन भगवान भगवान विष्णु की पूजा करने से पिशाच योनि का भय खत्म हो जाता है. जया एकादशी का व्रत मोक्ष प्रदान करने वाला भी माना गया है.
जया एकादशी व्रत का शुभ मुहूर्त
इस बार जया एकादशी 22 फरवरी, सोमवार शाम 05:16 बजे से प्रारंभ होगा. 23 फरवरी, मंगलवार शाम को 06:05 बजे एकादशी तिथि समाप्त हो जाएगी. 24 फरवरी को प्रात: 06:51 बजे से लेकर सुबह 09:09 बजे तक जया एकादशी के परायण का मुहूर्त होगा. परायण की अवधि 2 घंटे 17 मिनट होगी.
विधिपूर्वक करें जया एकादशी का व्रत
एकादशी व्रत को कठिन व्रत माना जाता है. विधि पूर्वक एकादशी व्रत करने से ही इसका लाभ मिलता है. एकादशी व्रत के दिन चावल का सेवन न करें. फल आदि का सेवन करें. क्रोध से बचें परायण के दिन दान-पुण्य करें. आदि करना चाहिए.