धर्म-अध्यात्म

जाने लाल किताब के अनुसार छल्ला पहनने के नियम

Khushboo Dhruw
4 Feb 2023 6:16 PM GMT
जाने लाल किताब के अनुसार छल्ला पहनने के नियम
x
कई लोग शनि के लिए लोहे का छल्ला या अंगुठी पहनते हैं। कुछ लोग घोड़े की नाल की अंगुठी बनवाकर पहनते हैं। यह शनि की ढैय्या, साढ़े साती, दशा, महादशा या अन्तर्दशा से बचने के लिए पहनते हैं। सामान्यतया इसका प्रयोग शनि, राहु और केतु के दुष्प्रभावों और बुरी आत्माओं से बचने के लिए शनिवार के दिन शाम के समय या अनुराधा, उत्तरा, भाद्रपद एवं रोहिणी नक्षत्र में शाम के समय दाहिने हाथ की माध्यम अंगुली में किया जाता है। लाल किताब के में छल्ला पहनने के कुछ नियम है। आओ जानते हैं वो नियम।
1. लाल किताब में धातुओं के छल्ले को पहनने का उल्लेख मिलता है। लाल किताब के अनुसार कुंडली की जांच करने के बाद ही लोहे का छल्ला या रिंग पहना चाहिए अन्यथा इसके विपरित प्रभाव भी हो सकते हैं।
2. कुंडली में सूर्य, शुक्र और बुध मुश्तर्का हो तो खालिस चांदी का छल्ला मददगार होगा। ऐसे में लोहे का छल्ला धारण करना नुकसानदायक हो सकता है।
3. जब बुध और राहु हो तो छल्ला बेजोड़ खालिस लोहे का होगा। मतलब यह कि तब लोहे का छल्ला अंगुली में धारण कर सकते हैं।
4. यदि बुध यदि 12वें भाव में हो या बुध एवं राहु मुश्तर्का या अलग-अलग भावों में मंदे हो रहे हों तो अंगुली में लोहे की रिंग पहनने से नुकसान होगा परंतु यह छल्ला जिस्म पर धारण करेंगे तो मददगार होगा। 12वां भाव, खाना या घर राहु का घर भी है। खालिस लोहे का छल्ला बुध शनि मुश्तर्का है। बुध यदि 12वें भाव में है तो वह 6टें अर्थात खाना नंबर 6 के तमाम ग्रहों को बरबाद कर देता है।
5. हालांकि अक्ल (बुध) के साथ अगर चतुराई (शनि) का साथ नंबर 2-12 मिल जावे तो जहर से मरे हुए के लिए यह छल्ला अंगुली में पहनना अमृत के समान होगा। मतलब किस्मत को चमका देगा।
6. उपर यह स्पष्ट हो गया है कि कुंडली में सूर्य, शुक्र और बुध मुश्तर्का हो तो लोहे का छल्ला नहीं पहनना चाहिए।
7. दूसरा यह कि जिस की कुंडली में शनि ग्रह उत्तम फल दे रहा हो उसे भी यह छल्ला नहीं पहनना चाहिए।
8. यदि लाल किताब द्वारा बतायी गई स्थिति के अनुसार यह छल्ला धारण कर रखा है तो इस छल्ले को समय समय पर रेत से चमकाते रहें या घिसते रहें।
Next Story