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जनता से रिश्ता वेबडेस्क| अक्सर आपने तमाम लोगों को विभिन्न प्रकार की माला को पहने हुए देखा होगा. माला पहनने की परंपरा सनातन काल से चली आ रही है. देवी–देवताओं से लेकर राजा और यहां तक की आम आदमी अपने गले में कभी सौंदर्य के लिए तो कभी शुभता के लिए इस माला को धारण करता रहा है. शुभता और सौंदर्य को बढ़ाने वाली इन मालाओं को धारण करने का अपना एक नियम है, जिसकी अनदेखी करने पर अक्सर इसके शुभ फल की बजाय नकारात्मक परिणाम सामने आने लगते हैं. आइए जानते हैं कि किस माला को पहनते समय हमें किन बातों का ख्याल रखना चाहिए –
तुलसी की माला
सबसे पहले बात करते हैं तुलसी की, जिसे विष्णु प्रिया कहा जाता है. सनातन परंपरा में पूजा में प्रसाद के लिए प्रयोग में लाई जाने वाली तुलसी की माला को धारण करना और उससे जप करना अत्यंत ही मंगलकारी माना गया है. तुलसी के बीजों की बनी माला को पहनने से मानसिक शांति प्राप्त होती है. तुलसी की माला को धारण करने वाले व्यक्ति में सात्विक भावनाएं जाग्रत होती हैं. इस पवित्र माला को धारण करने से दूध और गंगाजल से धोकर भगवान विष्णु को अर्पित करना चाहिए. इसके उनकी पूजा करने के बाद प्रसाद स्वरूप मानकर गले में धारण करना चाहिए. तुलसी की माला को पहनकर शौच के लिए नहीं जाना चाहिए और न ही मांस–मदिरा का प्रयोग करना चाहिए.
रुद्राक्ष की माला
भगवान शिव की कृपा पाने के लिए रुद्राक्ष अत्यंत शुभ माना जाता है. इस पवित्र बीज में सबसे बड़ी खासियत होती है कि यह आपके आस–पास ऊर्जा का एक सुरक्षा कवच बना देता है, जिसके चलते तमाम तरह की बाधाएं आपको प्रभावित नहीं कर पाती हैं. तुलसी की माला की तरह रुद्राक्ष को भी धारण करने वाले व्यक्ति को उसकी पवित्रता का पूरा ख्याल रखना होता है.
किस माला से मिलता है कौन सा फल
स्फटिक की माला – शुक्र संबंधित दोष दूर करने के लिए यह माला अत्यंत प्रभावी मानी जाती है.
हल्दी की माला – देवगुरु बृहस्पति और बगलामुखी साधना के लिए तुलसी की माला का प्रयोग होता है.
सफेद चंदन की माला – भगवान विष्णु की कृपा पाने और राहु के दोष को दूर करने के लिए यह माला धारण की जाती है.
मोती की माला – चंद्र ग्रह की शुभता और मन की शांति के लिए मोती की माला अत्यंत शुभ फल प्रदान करती है.
लाल चंदन की माला – शक्ति की साधना के लिए लाल चंदन की माला अत्यंत शुभ साबित होती है.
मूंगे की माला – मंगल ग्रह की शुभता पाने के लिए इस माला को धारण किया जाता है.
(यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं, इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)